शिक्षा विभाग और निगरानी टीम के बीच 7 साल में भी नहीं बन सका तालमेल, फर्जी शिक्षकों को मिल रहा जीवनदान
निगरानी जांच का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. डीपीओ स्थापना ने 29 दिसंबर को सभी बीइओ की बैठक बुलायी है, जिसमें निगरानी जांच संबंधी रिकॉर्ड्स के साथ उपस्थित होना है. वर्ष 2006 से 2015 तक नियुक्त 13579 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करनी है.
मुजफ्फरपुर: जिले के नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच शुरुआती डेढ़-दो साल में ही इस कदर उलझी कि अब तक निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा है. नियोजन इकाइयों ने कभी विभाग के जरिये अधूरे फोल्डर भिजवाया, तो कभी डॉक्युमेंट्स की अपठनीय कॉपी. निगरानी की टीम उसे दुरुस्त करके जमा कराने के अनुरोध के साथ विभाग को वापस भी करती रही.
हालांकि साढ़े सात साल में शिक्षा विभाग और निगरानी जांच टीम के बीच कभी तालमेल नहीं बन सका. यही वजह है कि अधूरे फोल्डर व अपठनीय डॉक्युमेंट्स ने जिले के फर्जी शिक्षकों को अब तक जीवनदान देने का काम किया है.
निगरानी जांच का मामला एक बार फिर सुर्खियों में
निगरानी जांच का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. डीपीओ स्थापना ने 29 दिसंबर को सभी बीइओ की बैठक बुलायी है, जिसमें निगरानी जांच संबंधी रिकॉर्ड्स के साथ उपस्थित होना है. वर्ष 2006 से 2015 तक नियुक्त 13579 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करनी है, जिसमें निगरानी को 3706 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिला है. ये शिक्षक कौन हैं और किस नियोजन इकाई में कार्यरत हैं, अब तक इसकी पहचान नहीं हो सकी है. जिले से कई बार बीइओ को पत्र जारी किया गया, लेकिन कभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका. जब भी निगरानी विभाग जांच में तेजी करती है, तो शिक्षा विभाग की रफ्तार भी तेज हो जाती है.
निगरानी टीम मुख्यालय को भेजती है रिपोर्ट
शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के बाद अब तक चार दर्जन से अधिक शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी गयी है. हालांकि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं मिलती. निगरानी टीम फर्जी शिक्षकों के खिलाफ संबंधित थाने में एफआइआर दर्ज कराकर सीधे मुख्यालय को रिपोर्ट भेजती है. इसके बाद ही शिक्षा के अधिकारी भी जान पाते हैं. विभागीय अधिकारियों को इस बात का मलाल भी रहता है.
कितना फोल्डर दिये, विभाग के पास नहीं है कोई रिकॉर्ड
नियोजित शिक्षकों का फोल्डर विभाग के माध्यम से ही निगरानी को भेजना था. इस बीच कई नियोजन इकाइयों ने खुद ही ले जाकर फोल्डर दे दिया. हालांकि इसकी सूचना भी विभाग को नहीं दी गयी, न ही इसका रिकॉर्ड नियोजन इकाइयों के पास है. खास बात यह है कि इसमें नगर निगम नियोजन इकाई भी शामिल है. विभाग की ओर से रिमाइंडर दिये जाने पर कहा जाता है कि शिक्षकों का फोल्डर दे चुके हैं.