मुजफ्फरपुर. बीआरए बिहार विवि में छात्रों की कॉपियां गायब हो जा रही हैं. छात्रों का कहना है कि कम नंबर आने के बाद जब वे आरटीआई के तहत कॉपियां मांगते हैं, तो उन्हें काॅपियां नहीं मिल रही हैं.
राजेंद्र कुमार सत्र 2017-20 का छात्र है. उसने पिछले मार्च चार मार्च 2020 को आटीआई के तहत पैसे जमा कर विवि से काॅपी मांगी. उसने कहा कि पार्ट टू के पेपर 4 में सिर्फ छह नंबर दिये गये हैं. इसलिए वह काॅपी देखना चाहता है. लेकिन आवेदन के एक वर्ष गुजर गये राजेंद्र को कॉपी नहीं मिली. विवि का तर्क था कि मार्च में लॉकडाउन हो गया था, इसलिए कॉपी मिलने में देर हुई.
शेखर सौरभ आरएन कॉलेज के पीजी का छात्र है. उसका सत्र 2018-20 है. उसने आरटीआई के तहत कॉपी मांगी. सौरभ का कहना था कि उसके अंग्रजी में 11 नंबर दिये गये हैं. लेकिन विवि से जो उसे कॉपी दी गयी वह उसकी नहीं थी. इस पर उसने लिखित शिकायत विवि को दी. सौरभ ने जनवरी में ही कापी के लिए आवेदन दिया था. पीजी का रिजल्ट दिसंबर में आया है. सौरभ अपनी कॉपी के लिए चक्कर काट रहा है.
छात्रों का दर्द है कि उन्हें आरटीआई कार्यालय से लेकर स्टोर और स्टोर से लेकर आरटीआई कार्यालय तक चक्कर लगवाया जा रहा है. छात्रों को कॉपी देखने के लिए आरटीआई कार्यालय में 300 रुपये जमा करने पड़ते हैं. नियम है कि एक महीने के अंदर उन्हें कॉपियां दे दी जाएं. विवि के आरटीआई अधिकारी व पीआरओ डॉ अहसन रशीद ने बताया कि हमारी कोशिश होती है कि छात्रों को समय से कॉपी मिल जाये. स्टोर से आते ही काॅपियां दे दी जाती हैं.
विवि सूत्रों के अनुसार पीजी की काॅपियां में कोडिंग गलत हो गयी है. एक काॅपी के कोड दूसरी काॅपी पर चढ़ गये हैं, तो कहीं कोड के नंबर इधर-उधर हो गये हैं. परीक्षा विभाग ने साफ-सुथरी रिजल्ट के लिए कॉपियों में कोडिंग की थी. कोडिंग के कारण छात्रों की कॉपियां नहीं मिल रही हैं. इसके अलावा कई छात्रों की काॅपियां स्टोर रूम में सड़ भी गयी हैं. स्टोर रूम में 20 लाख से अधिक काॅपियां बेतरतीब पड़ी हुई हैं.
छात्रों ने शिकायत की है कि पार्ट वन का परीक्षा फाॅर्म भरने में दो से तीन बार पैसा कट गया है, लेकिन विवि पैसे वापस नहीं कर रहा है. छात्रों ने कहा कि विवि ने जो ईमेल और फोन नंबर दिये हैं, उस पर कोई जवाब नहीं दिया जाता है. परीक्षा नियंत्रक प्रो मनोज कुमार ने कहा कि सभी शिकायतों के समाधान पर काम किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha