पटना जिले में कोरोना के बढ़ते मामले के बीच राहत वाली बात यह है कि केवल इक्का-दुक्का मरीजों में ही ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो रहा है. यानी उन्हें ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है. जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, वह मरीज दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को ही कोविड वार्ड के आइसीयू, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया है.
राजधानी के अस्पतालों में इन दिनों करीब 105 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है. इनमें सबसे अधिक पटना एम्स में लगभग 40 मरीज भर्ती हैं. इसके अलावा 12 आइजीआइएमएस, 10 पीएमसीएच और एनएमसीएच में 43 मरीज भर्ती हैं. इनमें सिर्फ 29 मरीज यानी करीब 25 प्रतिशत को ही ऑक्सीजन की जरूरत है. पटना में सक्रिय मरीजों की संख्या 7,072 है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बीते एक सप्ताह की स्थिति पर समीक्षा की है. इसमें बताया गया है कि कोरोना की तीसरी लहर के शुरुआती दिनों में जो ट्रेंड है, उसके अनुसार पटना जिले में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला तो है, लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट की तुलना में मरीजों को कम गंभीर कर रहा है. सप्ताह भर की स्थिति की समीक्षा से स्पष्ट हो रहा है. बहुत कम मरीजों को ही ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है.
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पटना एम्स के कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि एम्स की आइसीयू व इमरजेंसी में जो मरीज भर्ती हैं. वे ज्यादातर रेफर होकर आये हैं. उनमें से कई डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर व सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं. ज्यादातर में सर्दी-खांसी या बुखार की ही समस्या है. दो से तीन दिनों में सामान्य दवाओं के उपचार से ऐसे मरीजों को राहत मिल जा रही है. होम आइसोलेशन के मरीज पांच-छह दिनों में ठीक हो जा रहे हैं.
कोविड वार्ड में 12 संक्रमित मरीज भर्ती हैं. इनमें से तीन मरीज हाइ फ्लो ऑक्सीजन पर हैं. दो मरीज वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है. मरीज किडनी सहित अन्य रोग से ग्रसित हैं. नौ मरीजों को सर्दी-खांसी और बुखार है. अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों ने वैक्सीन के दोनों डोज लिये हैं, उनमें कोरोना के लक्षण कम हैं. पटना जिले कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या सात हजार से अधिक है. इनमें सिर्फ 105 मरीज ही भर्ती हैं, जबकि बाकी होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं.
डॉ मनीष मंडल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, आइजीआइएमएस
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अस्पताल भर्ती मरीज
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एनएमसीएच 43
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एम्स 40
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आइजीआइएमएस 12
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पीएमसीएच 10