कोरोना इफैक्ट : अभिभावकों ने रोकी फीस, बंद हुए पटना के 200 से ज्यादा प्ले स्कूल

शुरुआत में कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू किया था, मगर इन प्ले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र कम होने की वजह से यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो सकी.

By Prabhat Khabar News Desk | December 11, 2020 3:13 PM

अंबर, पटना. कोरोना के कारण शहर के सभी स्कूल करीब आठ महीने से बंद हैं. ऐसे में ज्यादातर स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का विकल्प तलाश लिया है. मगर, शहर में छोटे बच्चों को पढ़ाने और उन्हें स्कूल में बैठने की आदत दिलाने वाले प्ले स्कूलों के सामने ऑनलाइन क्लास का भी विकल्प नहीं है.

नतीजन, महीनों आर्थिक संकट से जूझने के कारण शहर में 200 से ज्यादा प्ले स्कूल बंद हो चुके हैं और कई बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं. शहर के विभिन्न इलाकों में इस तरह के करीब एक हजार से ज्यादा प्ले स्कूल चलते हैं.

इनमें ज्यादातर किराये के मकान में ही चल रहे हैं. कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि संचालकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी. स्कूल भवन का किराया, बिजली बिल, स्टाफ की सैलरी व रोड टैक्स नहीं दे सके. स्कूल बंद करने की नौबत आ गयी.

बच्चों की समझ से बाहर ऑनलाइन क्लास

शुरुआत में कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू किया था, मगर इन प्ले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र कम होने की वजह से यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो सकी.

बाइपास स्थित बिहार प्राइमरी स्कूल के डायरेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि बड़े स्कूल तो किसी तरह चल रहे हैं, मगर हमारे जैसे छोटे प्ले स्कूल चलाने वालों को स्कूल ही बंद करना पड़ गया.

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में छोटे बच्चे के ऑनलाइन क्लास भी नहीं चले, जिससे किसी भी अभिभावक ने फीस नहीं दी. इसके अलावा स्कूल भवन का किराया और स्टॉफ की सैलरी देने का बोझ अलग से.

करीब एक हजार हैं प्ले स्कूल, एक प्ले स्कूल में औसतन 150 बच्चे

प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि शहर में एक हजार के करीब छोटे-बड़े प्ले स्कूल हैं, जिनमें 200 से ज्यादा स्कूल कोरोना काल में झेल रहे आर्थिक संकट के कारण बंद हो चुके हैं.

अगर यही स्थिति रही, तो आगे भी स्कूलों का बंद होने का सिलसिला जारी रहेगा. इससे लाखों बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जायेंगे. सरकार को आर्थिक संकट झेल रहे स्कूलों के संचालक को आर्थिक सहायता देना चाहिए, जिससे वे कम-से- कम अपने स्कूल को चला सकें.

Posted by Ashish Jha

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