कोरोना संक्रमण की रफ्तार भले ही थम चुकी है, लेकिन इसके संक्रमण की मार से सिकुड़े मरीजों के फेफड़े करीब एक साल बाद भी ठीक नहीं हो रहे हैं. बीते एक साल के दौरान कोविड की चपेट में आये मरीजों की सीटी स्कैन जांच में यह समस्या देखने को मिल रही है, जबकि इनमें कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं थे. इसके बाद भी समस्या लगातार बनी हुई है. शहर के पीएमसीएच व आइजीआइएमएस के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक रोजाना ओपीडी में 200 से अधिक मरीज आ रहे हैं. इनमें 20 से अधिक कोविड से उबरे मरीज भी हैं. इन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इसमें दो से ढाई साल पहले कोरोना की वजह से आइसीयू में भर्ती हो चुके मरीज भी शामिल हैं.
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि कोविड से उबरे मरीजों को कोई परेशानी नहीं हो, इसलिए अलग से पोस्ट कोविड ओपीडी का संचालन किया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना को हराने वाले गंभीर मरीजों में करीब 10 प्रतिशत मरीजों को फेफड़ों में फाइब्रोसिस की परेशानी है. इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के फेफड़े सिकुड़ रहे हैं. नतीजतन कोरोना संक्रमण न होने के बाद भी उनके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. वहीं बताया जा रहा है कि इस संबंध में विशेषज्ञ डॉक्टर भी कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहे हैं. उनकी मानें तो ऐसे मरीज पूरी तरह कितने समय में फिट हो सकेंगे, यह कहना अभी मुश्किल होगा.
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वैसे मरीज जो अधिक दिनों तक आइसीयू में रहे हैं, उनको बीच-बीच में सांस की परेशानी होने की बातें सामने आ रही हैं. इसके साथ ही खांसी की समस्या भी बनी रहती है. सीढ़ियां चढ़ने पर सांसें फूलने की परेशानी मरीज बताते हैं. हालांकि डॉक्टरों की मानें, तो रिकवरी धीरे-धीरे होने की उम्मीद है. ऐसे मरीजों में दवाओं के डोज बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है. डॉक्टर बता रहे हैं कि पहले पांच से छह माह में मरीज रिकवर हो जायेंगे, लेकिन रिकवरी का समय एक साल व उससे अधिक पहुंच रहा है.