Corona Effect: : शादियां टलने से फिर हजारों के सामने आया रोजी-रोटी का संकट, पंडितों से उपाय पूछ रहे यजमान
शादियां कराने वाले पंडित बबन दास का कहना है कि संकट के समय कुछ यजमानों के फोन आ रहे हैं कि कुछ उपाय बताइए क्या करें? कुछ तो युवकों के फोन आते हैं. उनको सलाह दी जा रही है कि कोरोना वायरस अभी सब पर भारी है, इसलिए धैर्य रखें.
पटना. शादियां कराने वाले पंडित बबन दास का कहना है कि संकट के समय कुछ यजमानों के फोन आ रहे हैं कि कुछ उपाय बताइए क्या करें? कुछ तो युवकों के फोन आते हैं. उनको सलाह दी जा रही है कि कोरोना वायरस अभी सब पर भारी है, इसलिए धैर्य रखें. शादी लायक होने के लिए इतने वर्षों का इंतजार किया तो कुछ महीनों की और बात है. कोरोना के सामने सारे उपाय निर्थक हैं. अभी बचाव सबसे ज्यादा जरूरी है.
50 फीसदी बुकिंग हुई कैंसिल
अब तक 50 फीसदी बुकिंग कैंसिल हो चुकी है. इतना ही नहीं मैरिज गार्डन, होटल और गेस्ट हाउस के संचालकों को उनका पैसा भी लौटाने की नौबत आ गयी है. समारोह के लिए की गयी होटलों की बुकिंग भी कैंसिल हो रही है. वहीं राजधानी के अलग-अलग होटलों में हॉल और कमरों की संख्या कम कराने के बाद कई बुकिंग कैंसिल हो चुकी है. शादियों के लिए परिवारों को पिछले एक साल से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कई लोगों ने शादियां नवंबर- दिसंबर तक बढ़ा दी हैं.
बुकिंग हुई कैंसिल, एडवांस पैसा वापस मांग रहे हैं कई लोग
राजधानी से लगभग 600 छोटे-बड़े मैरिज गार्डन हैं. अप्रैल से जून तक लग्न को देखते हुए हर मैरेज गार्डन में लगभग 25 से 30 शादियां व अन्य समारोह की बुकिंग थी. पिछले साल कोरोना महामारी के कारण बड़ी संख्या में शादी स्थगित कर दी गयी थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस साल तक हालात सामान्य हो जायेगी. हालांकि कोरोना के नयी गाइड लाइन से शादी की तैयारी कर चुके परिवारों का गणित भी गड़बड़ा गया है. वे काफी मानसिक परेशानी में हैं.
कोरोना ने छीना कई लोगों का रोजगार, कैसे चलेगा घरबार
ऑल बिहार टेट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन प्रदेश सचिव नॉलेज कुमार ने बताया कि नयी गाइडलाइन लागू होने से बुकिंग पर काफी असर पड़ा रहा है. सब लोग कैंसिल करना चाहते है. लेकिन पार्टी को समझा रहे हैं. पिछले साल भी कोरोना का भेंट चढ़ गया. उन्होंने बताया कि एक दिन की बुकिंग में एक मैरेज हॉल से कम से कम 40-50 लोगों को रोजगार मिलता है. अब ये उसे भी प्रभावित करेगा.
मुश्किल दिन खत्म नहीं हुए
बैंक्वेट हॉल के मालिक, फूल वाला, बग्धी वाला, बैंड, शहनाई, बेटर, मसालची, कूक,सफाईकर्मी और बिजली मिस्त्री ने बताया कि हम इस साल होने वाली शादियों के जरिए 2020 में हुए अपने नुकसान की भरपाई करना चाहते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मुश्किल दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं.पंडाल कर्मचारी कोलकाता और मधुपुर से आते हैं. चार हजार से अधिक लोग इससे जुड़े हैं. लग्न से ही इनका जीवन यापन चलता है. लेकिन बुकिंग कैंसिल होने से हम सभी बेरोजगार हो गये हैं.
Posted by Ashish Jha