पटना. प्रदेश में आठ से 14 साल के 30 फीसदी ‘आउट ऑफ स्कूल’ बच्चे बिना विशेष शिक्षण और ट्रेनिंग के रह गये. शैक्षणिक साल 2021-22 में 2 लाख 94 हजार से अधिक बच्चे आउट ऑफ स्कूल बच्चों के रूप में चिह्नित किये गये थे. इनमें से केवल 2,07,699 बच्चे ही शिक्षा विभाग के विशेष शिक्षण अभियान का फायदा उठा सके. शेष बच्चे कोविड की तीसरी लहर के चलते विशेष कक्षाओं की वजह से वंचित रह गये. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक शैक्षणिक सत्र 2021-22 में इन बच्चों के इनके गांव या घर के आसपास के स्कूल में इनका नामांकन कराया गया था.
कुल 2,94,193 नामांकित विद्यार्थियों में लड़कों की संख्या 1,60,067 और लड़कियों की संख्या 1,34,126 है. इस प्रकार लड़कियों की आउट ऑफ स्कूल संख्या 45 फीसदी है. औपचारिक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से आठ से 10 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 1,85,243 रही. इनमें लड़कों की संख्या 1,00,950 और लड़कियों की संख्या 84,293 रही. वहीं 11 से 14 साल की उम्र के कुल आउट ऑफ स्कूल बच्चों की संख्या 1,08,950 रही है.
इनमें से लड़कों की संख्या 59177 और लड़कियों की संख्या करीब 50 हजार के आसपास रही. उल्लेखनीय है कि आउट ऑफ स्कूल बच्चों को उम्र के हिसाब से न केवल उन कक्षाओं में नामांकित कराया जाता है, बल्कि उन्हें स्किल ट्रेनिंग भी दी जाती है. इनके लिए राज्य और केंद्र दोनों मिल कर बजट भी अलॉट करते हैं. फिलहाल प्रदेश के शिक्षा विभाग ने इस दिशा में बड़ी तैयारी की, लेकिन कोविड ने उस पर ब्रेक लगा दिया.
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पूर्वी चंपारण 18621
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सीवान 13091
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गोपालगंज—-12994
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समस्तीपुर—-12346
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दरभंगा—-12319
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बक्सर—-12188
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मधुबनी—-10967
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खगड़िया—-9676
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सीतामढ़ी—-9601
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पटना (रूरल) – 9229
प्रदेश में ऐसे भी कई जिले रहे, जहां एक भी आउट ऑफ स्कूल विद्यार्थियों को ट्रेंड नहीं किया जा सका. ऐसे स्कूलों में बेगूसराय, कटिहार, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, रोहतास,सारण और सुपौल शामिल हैं.
शिक्षा विभाग अब कक्षा नौवीं से 12वीं तक के आउट ऑफ स्कूल बच्चों का भी सर्वे करा रहा है. इनके विशेष शिक्षण के लिए वित्तीय प्रबंध भी किये जा रहे हैं. इन बच्चों को शैक्षणिक सत्र 2022-23 में नामांकित कर पढ़ाया जायेगा.