पटना. जिले में पिछली 16 जनवरी से कोरोना के वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी. बीते शनिवार को इसको शुरू हुए आठ दिन बीतने के बाद भी वैक्सीनेशन धीमा रहा.
शनिवार शाम तक जिले में सिर्फ 4446 स्वास्थ्यकर्मियों को ही वैक्सीन लगायी जा सकी है. यह स्थिति तब है जब वैक्सीनेशन का टारगेट इस समय तक 7711 था.
पटना की उपलब्धि टारगेट के मुकाबले सिर्फ 58 प्रतिशत रही है. जिले के 17 सेंटरों पर अब तक वैक्सीन लगायी गयी है.
वैक्सीनेशन के मामले में पीएमसीएच, एम्स, पारस, रूबन जैसे अस्पतालों की स्थिति बेहतर है. वहीं जीजीएसएच पटना सिटी, एनएमसीएच, मसौढ़ी एसडीएच जैसे अस्पतालों की स्थिति पिछड़ी रही है.
16 जनवरी को वैक्सीनेशन अभियान के पहले दिन जिले के 1486 स्वास्थ्यकर्मियों को यह लगनी थी, लेकिन 915 को ही लगायी जा सकी. 18 जनवरी को वैक्सीनेशन के दूसरे दिन 1422 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगायी जानी थी, लेकिन सिर्फ 775 को ही वैक्सीन लगायी जा सकी.
1 जनवरी को जिले में 1602 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगायी जानी थी लेकिन जिले में 830 को ही यह लगायी जा सकी. 23 जनवरी को जिले में 1580 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाने का टारगेट था. शाम तक इनमें से 1044 को ही वैक्सीन लगायी जा सकी.
वैक्सीन के साथ-साथ वैक्सीनेशन सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी व डॉक्टर इस टीके को लगाने आ रहे लोगों के बीच डर व भ्रम को भी दूर करेंगे. इसके लिए अगले महीने से ही जिले भर में वृहद अभियान चलाया जायेगा. जगह-जगह पोस्टर चिपकाये जाने की कवायद की जायेगी.
बताया जा रहा है कि प्रचार के अन्य माध्यमों मसलन टीवी-रेडियो व समाचार पत्रों का भी सहारा लिया जा सकता है. जहां वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में झिझक, भ्रम व डर आदि को दूर करने के स्लोगन सुनाएं व छापे जायेंगे.
टीके लगवाने के बाद सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी लोगों को बतायेंगे कि देश में एक नहीं दो-दो वैक्सीन उपलब्ध हैं, और दोनों हमारे लिए सुरक्षित और प्रभावी भी हैं. इसे लगाने से कोरोना के प्रति हमारे शरीर में सुरक्षा चक्र विकसित होंगे.
देश में बनी इस वैक्सीन को बड़े-बड़े डॉक्टरों व चिकित्सा विशेषज्ञों ने पहले दिन खुद सामने आकर वैक्सीन लगवायी और उन्हें कोई समस्या नहीं हुई.
Posted by Ashish Jha