छह महीने के बाद पटना के 38 मुहल्लों से मिले 105 कोरोना पॉजिटिव, सक्रिय मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 265 के पार
कोरोना की आयी रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमितों में ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा शहरी इलाके के लोग शामिल हैं. इनमें पटना सिटी से करीब 15, मसौढ़ी से 3, पीएमसीएच के तीन कर्मी, बुडको के एक कर्मचारी के अलावा आइजीआइसी व आइजीआइएमएस के एक-एक डॉक्टर और पुलिस लाइन में रहने वाले एक पुलिसकर्मी भी संक्रमित मिले.
पटना जिले में अब कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. शुक्रवार को कोरोना ने छह महीने का रिकाॅर्ड तोड़ दिया है. जिले में 24 घंटे के अंदर जिले के 38 मुहल्लों से कोविड के कुल 105 मरीज पॉजिटिव मिले हैं. अधिकारियों की मानें, तो छह महीने पहले जुलाई में इतने मरीज जिले में एक साथ पॉजिटिव पाये गये थे. इसके साथ ही जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या भी 266 के पार पहुंच गयी है. सभी मरीजों की पुष्टि आरटीसीपीआर जांच से हुई है.
ग्रामीण से ज्यादा शहरी इलाके में मिले मरीज
कोरोना की आयी रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमितों में ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा शहरी इलाके के लोग शामिल हैं. इनमें पटना सिटी से करीब 15, मसौढ़ी से 3, पीएमसीएच के तीन कर्मी, बुडको के एक कर्मचारी के अलावा आइजीआइसी व आइजीआइएमएस के एक-एक डॉक्टर तथा फुलवारीशरीफ पुलिस लाइन में रहने वाले एक पुलिसकर्मी भी संक्रमित मिले हैं.
वहीं, पुनपुन पीएचसी में भी एक कर्मचारी संक्रमित मिला है. शहरी इलाके में अशोक राजपथ, जक्कनपुर, बोरिंग रोड, पुनाईचक, राजीव नगर, दीघा, महेंद्रू और अनीसाबाद से दो-दो मरीज, पाटलिपुत्र कॉलोनी, कृष्णानगर, खाजपुरा, दीघा, गर्दनीबाग, शास्त्रीनगर से एक-एक संक्रमित मिला है.
Also Read: बिहार में ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद अलर्ट, पटना में 105 और राज्य में मिले 158 नये कोरोना संक्रमित मरीज
पटना एम्स में सिर्फ तीन मरीज हैं भर्ती, बाकी होम कोरेंटिन में
एक ओर जहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, दूसरी ओर मरीज तेजी से ठीक भी हो रहे हैं. शहर के पीएमसीएच और एनएमसीएच का कोविड वार्ड अभी पूरी तरह से खाली है. आइजीआइएमएस में छह और एम्स में कोरोना के सिर्फ तीन मरीज भर्ती हैं. इनमें भोजपुर जिले की 69 वर्षीय शांति देवी, बोरिंग रोड के 72 साल के रवि शंकर पांडे और गया के प्रकाश चंद्र वैभव का इलाज चल रहा है.
वहीं बाकी 200 से अधिक मरीज होम कोरेंटिन में हैं. वहीं पटना एम्स के नोडल पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि कोरोना के मामले भले ही तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन भर्ती होने वाले लोगों की रफ्तार बहुत ही कम है. वहीं जो मरीज भर्ती भी हो रहे हैं, उनमें अधिकांश मरीजों को पहले से पुरानी बीमारी है.