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घंटे भर बची थी 300 मरीजों की सांस, ग्रीन कॉरिडोर बना अस्पतालों तक पहुंचाया गया ऑक्सीजन

शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में गुरुवार को अचानक से ऑक्सीजन खत्म होने लगी. करीब एक घंटे से भी कम समय के लिए ऑक्सीजन बची थी. दोनों ही अस्पताल में करीब 300 कोरोना के मरीज भर्ती थे.

पटना. शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में गुरुवार को अचानक से ऑक्सीजन खत्म होने लगी. करीब एक घंटे से भी कम समय के लिए ऑक्सीजन बची थी. दोनों ही अस्पताल में करीब 300 कोरोना के मरीज भर्ती थे. बताया जा रहा था कि ऑक्सीजन सिलिंडर की गाडी बीच रास्ते में ही फंस गयी थी. ऐसे में लेट होने की वजह से करीब डेढ़ घंटे बाद ट्रक सप्लाइ लेकर पहुंचने वाला था जबकि इससे पहले ऑक्सीजन की जरूरत थी. दोनों ही अस्पताल प्रशासन की सांसें फुलने लगी. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस व जिला प्रशासन से मदद मांगी.

इसके बाद प्रशासन के निर्देश पर ग्रीन कॉरिडोर बना समय पर ऑक्सीजन की गाड़ी को दोनों अस्पताल तक पहुंचाया गया. गाड़ी पर 70 से अधिक ऑक्सीजन सिलिंडर रखे हुए थे. आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंड डॉ मनीष मंडल ने बताया कि अस्पताल में करीब 200 मरीज ऑक्सीजन पर भर्ती हैं.

ऑक्सीजन की कमी को लेकर जिला प्रशासन की ओर से लगातार मदद करायी जा रही है. गुरुवार को समय पर ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया करा दिया गया. इससे 200 मरीजों को राहत मिल गयी है. वहीं, बताया जा रहा है कि पीमएसीएच में भी 90 मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत थी. लेकिन समय पर ऑक्सीजन मुहैया करायी गयी. अब स्टॉक करीब तीन दिन का हो गया है.

डिलिवरी ब्वाय को पुलिस ने पीटा, दो हजार का चालान काटा

इधर, बुधवार को लोहानीपुर डिलिवरी देने जा रहे एक डिलिवरी ब्वाय अमनदीप को गश्ती पुलिस ने एग्जीबिशन रोड पर उससे न सिर्फ मारपीट की, बल्कि दो हजार रुपये का चालान भी वसूला. इस बाबत डिलिवरी कंपनी के मालिक मजाज हसन का कहना है कि हमारी कंपनी पिछले काफी समय से पटना शहर के विभिन्न इलाकों में ताजा मीट, अंडा और चिकेन में पहुंचा रही है. हमारी कंपनी किसी भी तरह का डिलिवरी चार्ज भी वसूल नहीं करती है.

लॉकडाउन के दौरान बिहार सरकार की ओर से जो कोरोना गाइडलाइन है, उसके अनुसार, इ-कॉमर्स सेवाओं पर कोई पाबंदी नहीं है. हमारे डिलिवरी एक्जीक्यूटिव अमनदीप ने पुलिस को बार-बार यह समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने एक न सुनी. उल्टे उसे 2000 रुपये का दंड वसूल लिया.

बुधवार को हमें 10 कोरोना संक्रमित परिवारों के साथ अन्य परिवारों को भी डिलिवरी देनी थी, लेकिन इस घटना की वजह से हम ऐसा नहीं कर सके. इस बारे में ट्रैफिक एसपी अमरकेश डी ने बताया कि दो हजार रुपये चालान काटने का मतलब है कि उसने पुलिस के साथ सहयोग नहीं किया होगा.

पुलिस सड़क पर लोगों के हित में ही खड़ी है और उसके साथ सहयोग हर व्यक्ति को करना है. यदि वो आईकार्ड या प्रूफ मांगती है तो उसे देना है. मारपीट की शिकायत अभी तक मुझे नहीं मिली है.

Posted by Ashish Jha

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