Coronavirus in Bihar : बिहार में एक लैब देर रहा रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव, तो दूसरा बता रहा निगेटिव, संशय में मरीज, जानें पूरा मामला
कोरोना बीमारी के साथ ही इसकी जांच रिपोर्ट भी पीड़ितों को काफी परेशान कर रखा है. खास कर प्राइवेट जांच लैबों से जुड़े ऐसे कई मामले पिछले कुछ दिनों के दौरान सामने आये हैं, इसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
आनंद तिवारी पटना. कोरोना बीमारी के साथ ही इसकी जांच रिपोर्ट भी पीड़ितों को काफी परेशान कर रखा है. खास कर प्राइवेट जांच लैबों से जुड़े ऐसे कई मामले पिछले कुछ दिनों के दौरान सामने आये हैं, इसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. किसी एक लैब से जांच कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है. फिर दूसरे ही दिन दूसरे लैब की जांच रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है. एेसे में लाेगों को इस दौरान उनको मानसिक परेशानी के साथ ही शारीरिक परेशानी भी उठानी पड़ रही है.
केस 01
चार अप्रैल को पटेल नगर निवासी 61 वर्षीय जेके सिन्हा ने मोलेकुलर डाग्नोसिस्ट लैब में कोरोना की जांच करायी गयी. इसमें उन्हें पॉजिटिव बताया गया. अगले ही दिन परिजनों ने सेन डाग्नोस्टिक में कोरोना की जांच करायी, तो वहां निगेटिव बताया. परिजनों का कहना है कि ज्योति कुमार खुद अलग रूम में कोरेंटिन हो गये हैं. हालांकि उनमें कोरोना का किसी तरह का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है.
केस 02
राजेंद्र नगर निवासी मिथलेश कुमार पांडे ने दो निजी लैब में अलग-अलग टेस्ट कराया था. एक लैब की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तो दूसरे लैब की रिपोर्ट निगेटिव आयी. राजेंद्र नगर में ही एक लैब ने उनका रिपोर्ट पॉजिटिव बताया, जबकि दूसरा लैब निगेटिव रिपोर्ट दिया. संदेह हुआ तो मिथलेश ने पीएमसीएच में एंटिजन किट से जांच करवायी, तो रिपोर्ट निगेटिव आयी. हालांकि परिजनों का कहना है कि मिथलेश कुमार का कोई लक्षण नहीं है.
सिविल सर्जन ने नहीं दिया कोई जवाब
दो निजी लैब में अलग-अलग कोरोना की रिपोर्ट आने के बाद पटना की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी से प्रतिक्रिया लेने के लिए उनके मोबाइल पर लगातार कॉल किया गया. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
करानी चाहिए जांच
वायोरोलॉजी लैब, पीएमसीएच के पूर्व इंचार्ज डॉ सचिदानंद कुमार ने कहा कि प्राइवेट लैब से आनेवाली पांच प्रतिशत निगेटिव व पांच प्रतिशत पॉजिटिव केस को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आरएमआरआइ भेज कर जांच करानी चाहिए.
वहीं, दूसरी ओर कोरोना की जांच रिपोर्ट का अलग-अलग लैब में अलग-अलग आने के कई कारण हो सकते हैं. आरटीपीसीआर तरीके से की गयी जांच में 30 प्रतिशत तक फॉल्स निगेटिव आने की गुंजाइश रहती है. इसके अलावा सैंपल लेने के तरीके भी गड़बड़ रिपोर्ट आने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है.
Posted by Ashish Jha