जूही स्मिता, पटना. कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव धीरे-धीरे लोगों की मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है. डर का आलम यह है कि लोग वाट्सएप पर चल रही लिस्ट लेकर दवाइयां खरीद रहे हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस मानसिकता से उबरना होगा, साथ ही अफवाहों से बचना होगा.
आज हमारे पास वैक्सीन है साथ ही जरूरी एहतिहात रखने पर हम इसकी चपेट में आने से बच सकते हैं. हमें यह समझना होगा कि यह एक बीमारी है और इससे उबरा जा सकता है. साइकोलॉजिस्ट रेखा कुमारी बताती हैं कि हम अपने दिमाग को जैसा फील कराना चाहते हैं, वह वैसा ही करता है. अभी लोग सीजनल तबीयत खराब होने पर कोविड जांच कराते हैं. दवाइयां लेने लगते हैं.
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अभी डरने की जगह खुद के विल पावर को स्ट्रांग करें.
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योग, मेडिटेशन, एक्सरसाइज आदि करें.
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खान-पान का खास ख्याल रखें.
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चीजों के सकारात्मक पहलुओं पर फोकस करें.
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लक्षण आते है तो डॉक्टरी सलाह लें और लोगों से दूरी बनाएं.
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वाट्सएप पर वायरल होने वाली दवाइयों को बिना डॉक्टरी सलाह के न लें
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न्यूज, सोशल मीडिया और कोरोना से जुड़ी अफवाहों से दूरी बनाएं.
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भीड़ में न जाएं और कोविड नियमों का पालन करें
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पैनिक न हों
सरकार और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन में है कि अगर आपको लक्षण हैं तभी जांच कराएं. तीन दिन तक खुद को आइसोलेट कर ऑब्जर्ब करें. कोरोना से संबंधित न्यूज उतना ही सुने जितने की जरूरत है. ज्यादा समय मेडिटेशन करें, योग करें, खुद हाइजीन रखें और सकारात्मक बने रहें. अफवाहों और फेक न्यूज से बचें.
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ बिंदा सिंह बताती हैं कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना के दूसरे वेव से 10 गुना असर पड़ा है. सोशल मीडिया, न्यूज चैनल पर चलनेवाली खबरों और वाट्सएप पर वायरल हो रहे ऑडियो-वीडियो मैसेज से लोग डर रहे हैं, जिसका असर उनके ब्रेन पर पड़ रहा है.
उन्हें पैनिक अटैक आने लगे हैं. हमें अपने विल पावर को स्ट्रांग रखने की जरूरत है. डर की वजह से आपकी सेहत खराब होगी, जिसका असर आपकी इम्युनिटी पर पड़ेगा. सामाजिक दायित्व को समझते हुए घर से बाहर न निकलें, मास्क पहनें और हाथ सैनिटाइज करते रहें.
Posted by Ashish Jha