पटना. कोविड का कहर बढ़ने से पटना के सभी बड़े अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं. इसके कारण मरीजों को नामी अस्पतालों में जगह नहीं मिल पा रही है. हाल यह कि सभी मेडिकल काॅलेजों के आइसीयू में बेड तभी खाली हो रहे हैं, जब किसी मरीज की मौत हो रही है. बेड खाली नहीं मिलने से मरीजों के परिजन अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं. इससे मरीजों का इलाज भी प्रभावित हो रहा है.
आइजीआइएमएस में कोविड मरीजों के लिए इमरजेंसी को वार्ड में बदल दिया गया है. यहां सिर्फ गंभीर मरीजों को आइसीयू में भर्ती लिया जाता है. इसके पास 50 आइसीयू बेड हैं और बुधवार को भी सभी बेड मरीजों से फुल थे. यहां बुधवार को दो मरीजों की मौत हुई, इसके बाद ही दो मरीजों को भर्ती किया जा सका.
निजी क्षेत्र में रूबन मेमोरियल अस्पताल पाटलिपुत्र में सबसे ज्यादा बेड हैं. इस अस्पताल में 178 बेड हैं, जिनमें 54 आइसीयू के हैं और बुधवार को सभी बेड मरीजों से भरे हुए थे. अस्पताल में नाॅन कोविड मरीजों से ज्यादा अब कोविड मरीज ही हो गये हैं. यहां 46 बेड पर ही नाॅन कोविड मरीज थे.
एशियन हाॅस्टिपल में भी बुधवार को सभी 40 बेड मरीजों से भरे हुए थे. यहां आइसीयू के आठ और वेंटिलेटर के चार बेड हैं सभी पर मरीज थे. अस्पताल की ओर से बताया गया कि हमारे यहां से भी रोजाना दर्जनों मरीज आकर लौट रहे हैं. 100 से ज्यादा लोग रोजाना फोन कर बेड खाली होने की जानकारी पूछ रहे हैं.
पारस अस्पताल बेली रोड में कोविड मरीजों के लिए 65 बेड हैं. यहां के सभी बेड मरीजों से बुधवार को भरे थे. 24 बेड आइसीयू के हैं, लेकिन सबसे ज्यादा इसकी ही डिमांड होने के कारण यह बेड मिलना यहां और भी मुश्किल है. रोजाना दर्जनों मरीज वापस लौट रहे हैं. यहां भी भर्ती कराने के लिए दिन भर काॅल आती रहती है.
एनएमसीएच में बेड की संख्या बढ़ायी गयी है. इसके बाद यहां 500 बेड काम करने लगे हैं. अस्पताल की ओर से दोपहर तीन बजे तक की दी हुई जानकारी के मुताबिक यहां 259 बेड पर मरीज थे और 241 बेड खाली थे. यहां भी आइसीयू में बेड की भारी कमी है.
पीएमसीएच में कोविड मरीजों के लिए 105 बेड हैं, जिनमें से 25 बेड आइसीयू के हैं. और बुधवार शाम तक ये सभी बेड फुल थे. यहां भी आइसीयू में बेड तभी मिल रहा है, जब वार्ड में किसी मरीज की मौत हो रही है. यहां आने वाले ज्यादातर को बेड खाली नहीं कह कर लौटाया जा रहा है.
पटना एम्स में कोविड मरीजों के लिए बुधवार को 280 बेड थे और सभी पर मरीज भर्ती थे. यहां धीरे-धीरे नाॅन कोविड मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद उनके बेड को कोविड वार्ड में मिलाया जा रहा है. कुछ दिनों पहले तक यहां 130 बेड ही थे, जो कि बढ़ कर अब 280 हो चुके हैं. इसे बावजूद यहां बेड मिलना चुनौतीपूर्ण है.
Posted by Ashish Jha