नरकटियागंज. कोरोना से मौत के बाद परिजन शव लेने के लिए कैसे तड़पते हैं इसे देखना हो तो अनुमंडलीय अस्प्ताल आना पड़ेगा. यहां मौत होने के बाद परिजनों को एक नही दो नहीं बल्कि घंटों का इन्तेजार करवाया जा रहा है.
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुबह 9 बजे शिवगज मुहल्ले के प्रशांत अमित की मौत आइसोलेशन वार्ड में होती है और रात 8 बजे अंतिम संस्कार होता है.
प्रशांत की पत्नी रूबी अस्प्ताल के अहाते में छाती पीट पीट बिलख रही होती है और पिता वीरेंद्र प्रसाद चीनी मिल श्मशान घाट पर अपने कलेजे के टुकड़े के अंतिम संस्कार के लिए अस्प्ताल से आने वाले एम्बुलेंस के इंतजार में है.
रात्रि आठ बजे शव घाट पर पहुचता है और फिर शुरू होता है अंतिम संस्कार उस युवक का जो जिला स्तर का बेहतरीन क्रिकेटर था लेकिन इन सब के बीच अस्प्ताल की वो व्यवस्था की पोल भी खुल गयी .
वीरेंद्र प्रसाद ने कहा मेरे बेटे का शव 11 घंटे तक बेड पर पड़ा रहा लेकिन कोई स्वास्थ्य कर्मी या अधिकारी समय से शव नहीं दिए. सुबह में मौत हुई और देर शाम शव मिला. वो भी एसडीएम व नगर प्रबंधक को फोन करने और आरजू मिन्नत के बाद.
परिजनों का कहना है कि 12 बजे से लेकर कई बार अस्पताल प्रबंधन को शव उठाने के लिए सूचना दिया गया लेकिन अस्पताल के कोई भी कर्मी शव उठाने को तैयार नहीं थे. कई बार प्रयास किया गया बावजूद इसके साढ़े सात बजे संध्या तक शव अस्पताल में ही पड़ा रहा.
जब अस्प्ताल की ओर से कोई व्यवस्था नही मिली तो नगर प्रबंधक विनय रंजन, पड़ोसी एफ रहमान, एंबुलेंस चालक राधेश्याम प्रसाद व सफाई कर्मी राकेश कुमार ने पीपीई किट पहन कर शव उठवाया. रात्रि आठ बजे प्रशांत का अंतिम संस्कार हुआ.
Posted by Ashish Jha