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Coronavirus in Bihar : हाथ में पैसा रहते हुए भी बिहार में नर्सिंग होम से डिस्‍चार्ज होना मुश्‍किल, कैश की सीमा बनी परेशानी का सबब

कोरोना संक्रमि‍त के परि‍जन आपनों का जीवन बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है. संक्रमित मरीज एक-एक सांस के लिए सरकारी और निजी नर्सिंग होम में जीवन से संघर्ष कर रहे है. राजधानी की छोटे से बड़े नर्सिंग होम में मरीजों को बेड से मुहैया नहीं हो पा रहा है.

सुबोध कुमार नंदन, पटना. कोरोना संक्रमि‍त के परि‍जन आपनों का जीवन बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है. संक्रमित मरीज एक-एक सांस के लिए सरकारी और निजी नर्सिंग होम में जीवन से संघर्ष कर रहे है. राजधानी की छोटे से बड़े नर्सिंग होम में मरीजों को बेड से मुहैया नहीं हो पा रहा है.

परिजन नर्सिंग होम के प्रबंधकों के आगे अपनों का जान बचाने के लिए आरजू- मिन्‍नत कर रहे हैं. किसी की आरजू सुनी तो किसी को दर-दर भटना पड़ रहा है. किसी तरह नर्सिंग होम में भर्ती कराने के बाद डाक्‍टर तो इनकी जान बचाने में जुट जाते हैं, लेकिन नर्सिंग होम प्रबंधन और परिजन के बीच इलाज के रुपये जमा कराने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

इसका कारण कैश जमा कराने की अ‍धिकतम सीमा दो लाख रुपये होना है. राजधानी के नर्स‍िंग होम में आठ-दस दिन तक भर्ती रहकर कोरोना का इलाज कराने वालों से दो से तीन लाख रुपये तक के बिल बन जाते है. इसमें रहने से लेकर दवा और खाना तक शामिल होता है. डिस्‍चार्ज के वक्‍त जब परिजन बिल का पेमेंट करने नर्सिंग होम के कैश काउंटर पर पहुंते है तो उन्‍हें भी परेशानि‍यों का सामना करना पड़ता है.

नर्सिंग होम प्रबंधन इनकम टैक्‍स के कानूनों को हवाला देते हुए कैश लेने से इंकार कर रहा है. इसके पीछे वे इनकम टैक्‍स की धारा 269 एसटी का हवाला दे रहे हैं. इसके तहत दो लाख या उससे अधि‍क के कैश ट्रांजेक्‍शन पर राशि लेने वाले पर सौ फीसदी तक पेनाल्‍टी का प्रावधान है. इस नियम ने कोरोना संक्रमित परिजनों की मुश्‍किल बढ़ा दी है, जो दूसरे जिलों से अपनों को इलाज कराने आ रहे हैं. इनसे चेक भी नहीं लिए जाते हैं.

संक्रमितों के परिजन को आ रही परेशानी देखते हुए बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्रीज के अध्‍यक्ष पी के अग्रवाल, बिहार इंडस्‍ट्रीज एसोसएशन के अध्‍यक्ष राम लाल खेतान और आइसीएआइ, पटना ब्रांच ने केंद्रीय वित्‍त मंत्री को ज्ञापन भेजकर राहत देने की मांग की है.

कैश लेने की सीमा से छूट मिलना चाहिए

बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्रीज के अध्‍यक्ष पीके अग्रवाल का कहना है कि कोविड के दौरान हजारों की संख्‍या में कोरोना संक्रमितों के इलाके के बिल दो लाख से अधिक हो रहे है. निजी नर्सिंग होम इतनी मोटी राशि‍ कैश या चेक नहीं ले रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए बैंक की समय सीमा को कम कर दिया गया है.

अधिकांश लोग नेट बैंकिंग नहीं करते है. ऐसे में इनकम टैक्‍स के कानून इलाज में बाधक बन रहे है. इसलिए वित्‍त मंत्री को कम से कम कोरोना महामारी तक निजी नर्सिंग होम को कैश लेने की सीमा से छूट मिलना चाहिए.

प्रावधान में थोड़ी राहत देनी चाहिए

द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ), पटना ब्रांच के चेयरमैन सीए मुकुल का कहना है कि‍ कोविड-19 की स्थिति में अस्पतालों का बिल लाखों में आ रहा है. इस परिस्थिति में वित्त मंत्री से मांग है कि इनकम टैक्स एक्ट में दो लाख से ऊपर की रसीद को अकाउंट पेइ करने के प्रावधान में थोड़ी राहत देनी चाहिए, ताकि‍ इलाजरत व्यक्ति के परिजन कैश के रूप में भी अस्पताल के बिल का भुगतान कर सके. अभी उत्पन्न परिस्थितियों में यह नितांत आवश्यक है कि जीवन रक्षा के रूप में इसे स्वीकृत किया जाये.

Posted by Ashish Jha

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