पटना. निगम के घाट पर कोविड से मृत लोगों को लकड़ी से दाह संस्कार कराने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. इसके लिए घाट पर तैनात कर्मियों को खुशामद के साथ चढ़ावा भी देना मजबूरी है.
बांस घाट पर अपने संबंधी की कोरोना से मौत होने पर दाह संस्कार कराने के लिए पहुंचे संतोष ने कहा कि लकड़ी से दाह संस्कार कराने में बड़ी परेशानी है. निगम की ओर से लकड़ी से भी दाह संस्कार कराने की नि:शुल्क व्यवस्था है. इसके बावजूद घाट पर तैनात निगम के लोगों ने बहुत परेशान किया.
कर्मियों द्वारा विद्युत शवदाह गृह में दाह संस्कार कराने पर जोर दिया गया. जब लकड़ी से दाह संस्कार कराने की बात कही, तो कहा कि इसके लिए ऊपर बात करनी होगी. सारा इंतजाम करना होगा. इससे अच्छा होगा कि विद्युत शवदाह मशीन में कर देते हैं.
संतोष ने कहा कि जब बड़े अधिकारियों से बात करने की जानकारी दी, तब जाकर तैयार हुआ. फिर भी कुछ अलग से खर्च देना पड़ा. डेड बॉडी को उठानेवाला बिना कुछ लिये आगे नहीं बढ़ा. कोरोना से मौत होने पर अपने चाचा को दाह संस्कार कराने के लिए राजवंशीनगर से आये साकेत कुमार ने कहा कि विद्युत शवदाह गृह में दाह संस्कार में समय कम लगा, लेकिन इंतजार करना पड़ा. इसके लिए भी पहल करने पर जल्दी काम हुआ.
बिना अलग से खर्च के काम संभव नहीं है. साकेत ने कहा कि दाह संस्कार के लिए लोगों को बैठना पड़ता है. सड़क किनारे पंडाल बना कर छोड़ दिया गया है. पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है. पानी का टैंकर है. लेकिन सुरक्षित नहीं होने के कारण खरीद कर पानी पीना पड़ रहा है.
रविवार को शाम सवा पांच बजे बांस घाट पर जिला प्रशासन से तैनात मजिस्ट्रेट घाट पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया. गुलबीघाट में घाट किनारे चापाकल होने से आनेवाले लोगों को साफ पानी मिल जाता है. इसके अलावा अपनी इच्छानुसार लोग दुकान से पानी खरीद कर पीते हैं.
Posted by Ashish Jha