दरभंगा. आपदा को अवसर बनाने से निजी अस्पताल प्रबंधन नहीं चूक रहा है. अललपट्टी स्थित एक अस्पताल में बीती रात बहेड़ी के 35 साल के एक युवक की कोरोना से मौत हो गयी. परिजन ने जमीन बेच कर अस्पताल को 2.30 लाख रुपया दिया पर बाकी के 66 हजार रुपया की व्यवस्था परिजन नहीं कर पा रहे थे. पैसा नहीं मिलने से अस्पताल ने लाश को रोक लिया.
इससे पहले पटना के निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर छह लाख रुपया ऐंठ लिया गया था. वहां का खर्च देख परिजन मरीज को लेकर यहां आ गये. इलाज के दौरान देर रात युवक ने दम तोड़ दिया. अस्पताल प्रबंधन ने करीब तीन लाख का बिल परिजनों को थमायी. बताया जाता है कि जमीन बेचकर दो लाख रुपया चुकता कर दिया गया.
परिजनों ने कर्मियों से बांकी का 66 हजार रुपया बाद में चुका देने की बात कही. लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी स्थिति में बकाया पैसा भुगतान करने के बाद ही शव ले जाने की इजाजत देने की बात कही. परिजन मिन्नत करते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन को दया नहीं आयी. सहायता के लिए परिजनों ने कबीर सेवा संस्थान के संरक्षक नवीन सिन्हा से संपर्क किया.
बताया जाता है कि नवीन सिन्हा ने डीएम आदि के संज्ञान में मामले को दिया. इसके बाद शाम में अस्पताल ने शव दिया. अस्पताल ने शव को मापदंड के अनुसार पैकिंग नहीं कर पीपीई किट में लपेट कर परिजन को थमा दिया.
जिला प्रशासन की ओर से अस्पताल में प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी रिजवान अहमद से जब मामले को लेकर बात की गयी तो पहले उन्होंने इस तरह के किसी मामले से अनभिज्ञता जाहिर की. बाद में कहा कि परिजनों ने पैसा चुका दिया है. परिजन की तरफ से किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने के बाद विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
इधर, इस घटना को लेकर परिजनों में काफी दुख का माहौल है. जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने कहा कि इस मामले की जांच एडीएम करेंगे. वैसे 70 हजार रुपए कम भी कर दिये गये. फिर भी अगर शिकायत की जाती है, तो जांच अवश्य होगी. दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई भी की जायेगी.
Posted by Ashish Jha