नहीं मिले चार कंधे, तो बेटी ने खुद मां के शव को दफनाया, कोरोना से पहले पिता अब मां की भी हो गयी मौत

पहले पिता, फिर मां की मौत हो गयी. इसके बाद जो कल तक अपने थे सब पराये हो गये. कंधा देने के लिए उस अभागी बेटी को चार लोग तक नहीं मिले. अंत में उसने साहस कर घर की बाड़ी में खुद से गड्ढा खोद कर शव को दफना दिया. ये घटना है रानीगंज प्रखंड के विशनपुर पंचायत की.

By Prabhat Khabar News Desk | May 10, 2021 11:05 AM

परवाहा (अररिया). पहले पिता, फिर मां की मौत हो गयी. इसके बाद जो कल तक अपने थे सब पराये हो गये. कंधा देने के लिए उस अभागी बेटी को चार लोग तक नहीं मिले. अंत में उसने साहस कर घर की बाड़ी में खुद से गड्ढा खोद कर शव को दफना दिया. ये घटना है रानीगंज प्रखंड के विशनपुर पंचायत की.

चार अप्रैल को वीरेंद्र मेहता की मौत कोरोना से हो गयी, जिसका दाह-संस्कार पूर्णिया में ही करवा दिया गया, जबकि सात अप्रैल को उनकी पत्नी प्रियंका देवी की भी मौत कोरोना से हो गयी, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए कोई आगे नहीं आया. थक-हार कर प्रियंका की पुत्री सोनी कुमारी ने साहस का परिचय देते हुए अपनी बाड़ी में ही शव का दफन कर दिया.

दो दिनों से बच्चों ने कुछ नहीं खाया था : विशनपुर पंचायत के मधुलत्ता गांव में माता-पिता की कोरोना से मौत के बाद उनके तीन बच्चे दो दिनों से भूखे थे. वैसे भी पिता की बीमारी के बाद से ही पूरा परिवार न ठीक से खाना खा पा रहा था और न ही सो पाता था. उन छोटे बच्चों का हाल-चाल पूछने भी कोई नहीं आया. कोई दूर से भी दो रोटी फेंक कर ही दे देता, तो ये बच्चे भूखे नहीं रहते.

आसपास के लोग जो इस परिवार को जानते थे, झांकने भी नहीं आये. बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे. सोनी, चांदनी व नीतीश के लिए यह कोरोना काल साक्षात यम बन कर आया और इन लोगों का सब कुछ छीन ले गया. इस विपदा की घड़ी में इस परिवार को देखने वाला कोई नहीं था.

कोरोना से मां-बाप की मृत्यु के बाद शव को दफन करने के लिए कोई आगे नहीं आया. तब जाकर सोनी ने खुद से गड्ढा खोदकर मां के शव को दफना दिया. सोनी सहित तीनों भाई-बहन के पास अब कुछ भी नहीं बचा है. जो जमीन व मवेशी थे वह सभी पिता के इलाज में बिक गये. मां की मौत के बाद तो मानों अब सब कुछ तबाह हो गया. परिवार दाने-दाने को मुहताज है.

सामाजिक कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर लगायी मदद की गुहार

चार अप्रैल को वीरेंद्र मेहता की मौत कोरोना से हो गयी, जिसका दाह-संस्कार पूर्णिया में ही करवा दिया गया, जबकि सात अप्रैल को उनकी पत्नी प्रियंका देवी की भी मौत कोरोना से हो गयी. इस बात की जानकारी मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव ने पीड़ित परिवार की मदद के लिए शनिवार को फेसबुक व सोशल मीडिया के अन्य माध्यम से पीड़ित का अकाउंट नंबर सार्वजनिक कर मदद के लिए गुहार लगायी. साथ ही वे सामाजिक कार्यकर्ता अंकित मेहता व सोनू यादव पीड़ित बच्चों से मिले व आर्थिक सहयोग किया.

उन्होंने पीड़िता सोनी की शादी कराने, एक भाई व बहन की पढ़ाई का खर्च वहन करने की बात कही. सोनी सहित तीनों भाई-बहन के पास अब कुछ भी नहीं बचा है अगर कुछ है भी तो घर ही है, जो जमीन व मवेशी थे वह सभी पिता के इलाज में बिक गये.

समाज की असंवेदनशीलता को दिखलाती हैं इस तरह की घटनाएं

जुम्मन चौक निवासी कमल राम की पत्नी राधा देवी बुखार से पीड़ित थी. तेज बुखार से उसकी मौत हो गयी. वह जुम्मन चौक पर अकेली थी. पति अपने गांव भाग कोहलिया में बुखार से पीड़ित थे. उक्त महिला की मौत तीन अप्रैल को हो गयी. चार अप्रैल को जब महिला घर से बाहर नहीं निकली, तब लोगों को किसी अनहोनी की आशंका हुई.

किसी ने उसके घर में दूर से जाकर देखा तो उक्त महिला की मौत हो चुकी थी. जब कोई अपना अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आया, तब जुम्मन चौक निवासी वाहिद अंसारी, बेलाल अली के साथ-साथ नप प्रशासन व भाकपा नेता गिरानंद पासवान, नौजवान संघ के जिला उपाध्यक्ष रंजीत यादव आदि ने एक जेसीबी लाकर उसमें शव को रखकर श्मशान घाट में दफना दिया. पति कमल राम ने भी पांच अप्रैल को दम तोड़ दिया. इस तरह की घटनाएं समाज की असंवेदनशीलता को दिखलाती हैं.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version