Coronavirus in Bihar : बिहार में वायु प्रदूषण बन रहा कोरोना कैरियर, 61 फीसदी से अधिक मौतें केवल नौ जिलों में
बिहार में कोरोना संक्रमण से 61.20 फीसदी मौत केवल नौ जिलों में हो रही है. प्रदेश में अब तक कोरोना से 1956 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 1197 मौतें केवल पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, दरभंगा, मुंगेर, नालंदा, वैशाली और सारण जिलों में हुई हैं.
राजदेव पांडेय, पटना. बिहार में कोरोना संक्रमण से 61.20 फीसदी मौत केवल नौ जिलों में हो रही है. प्रदेश में अब तक कोरोना से 1956 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 1197 मौतें केवल पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, दरभंगा, मुंगेर, नालंदा, वैशाली और सारण जिलों में हुई हैं.
विशेष बात यह है कि ये सभी जिले बड़े शहरों वाले हैं. इन जिलों में मौत के की तीन चौथाई आंकड़े केवल इन्हीं शहरी क्षेत्रों के हैं. इन सभी जिलों के मुख्यालय शहर वायु प्रदूषण के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं.
इनमें पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर तो राष्ट्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण के लिए जाने जाते हैं. 22 अप्रैल तक कोरोना से प्रदेश में सबसे ज्यादा पटना जिले में 566, भागलपुर में 136, गया में 91, मुजफ्फरपुर में 74, मुंगेर में 72, सारण में 71, नालंदा में 70, दरभंगा में 61 और वैशाली में 56 मौतें हो चुकी हैं. इन सभी जिलों में कोरोना मरीजों की संख्या भी सर्वाधिक है.
जानकारों का मानना है कि हवा में मौजूद प्रदूषणकारी धूल कण काेरोना वायरस के कैरियर का काम कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय स्वास्थ्य विभाग ने भी हाल ही में अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कोरोना वायरस हवा के जरिये भी फैल रहा है.
वायु प्रदूषण इस तरह बन रहा कोरोना का कैरियर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में साफ किया गया है कि वायु प्रदूषण के चलते एलर्जी, छींकने, खांसने और सांस लेने में दिक्कत के मामले बढ़ते हैं. खांसने और छींकने के दौरान हवा में फैला वायरस प्रदूषण की वजह से महीन धूल कणों पर चिपक कर ज्यादा समय तक न केवल दूर तक जा सकता है, बल्कि ज्यादा समय तक सक्रिय भी रह सकता है.
इन नौ जिलों में अधिक मौतें
जिला मौत एक्टिव मरीज
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पटना 566 16547
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भागलपुर 136 3116
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गया 91 5644
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मुजफ्फरपुर 74 4304
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मुंगेर 72 1795
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सारण 71 3136
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नालंदा 70 1442
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दरभंगा 61 582
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वैशाली 56 1369
पटना विश्वविद्यालय में जूलॉजी के शिक्षक प्रो परिमल कुमार खान ने कहा कि वायु में सस्पेंडेड मैटर यानी धूल कण कोरोना वायरस के कैरियर का काम कर सकते हैं. दरअसल, जब भी छींक या खांसी के जरिये ड्रॉपलेट हवा में जायेगा तो धूल कणों के साथ वह हवा में काफी समय तक बना रह सकता है. इसलिए हमें ज्यादा घनत्व वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए. फिलहाल इस संबंध में मास्क बेहद उपयोगी हैं.
Posted by Ashish Jha