बिहार में कोरोना कहर के बीच राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य के मेडिकल और इंजीनियरिंग काॅलेजों की एक तिहाई (33%) सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को एक अहम बैठक में यह निर्देश दिया.
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में नामांकन में न्यूनतम एक-तिहाई सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित की जाएं. इससे तकनीकी शिक्षा में छात्राओं की संख्या बढ़ेगी. यह यूनीक चीज होगी. इससे छात्राएं उच्च और तकनीकी शिक्षा की तरफ ज्यादा प्रेरित होंगी.
नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं. कई मेडिकल कॉलेज भी खोले गये हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए बिहार के बच्चों को बाहर नहीं जाना पड़े, यह हमारा उद्देश्य है.
सीएम ने कहा कि इंजीनिरिंंग विश्वविद्यालय और चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित होने से इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों का बेहतर ढंग से प्रबंधन हो सकेगा. साथ ही, कॉलेजों में अध्यापन कार्य को बेहतर ढंग से नियंत्रित भी किया जा सकेगा. मुख्यमंत्री के समक्ष बुधवार को एक अणे मार्ग स्थित संकल्प सभाकक्ष में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग और विज्ञान एवं प्राैद्योगिकी विभाग की तरफ से अभियंत्रण विश्वविद्यालय और चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित करने के संबंध में प्रस्तावित विधेयक का प्रस्तुतिकरण दिया गया.
मेडिकल कालेजों में यह है सीटें- विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटों में पीएमसीएच में 200 सीटें, डीएमसीएच,दरभंगा में 120 सीटें, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में 120 सीटें, एनएमसीएच,पटना में 150 सीटें, जेएलएनएमसीएच, भागलपुर में 120 सीटें, एएनएमसीएच,गया में 120 सीटें, आइजीआइएमएस में 120 सीटें, जीएमसी,बेतिया में 120 सीटें, विम्स,पावापुरी में 120 सीटें, जेएनकेटीएमसीएच, मधेपुरा में 100 सीटों के अलावा पटना डेंटल कॉलेज की 40 सीटें शामिल हैं.
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