आनंद तिवारी, पटना. पटना जिले में कोरोना के मामले बढ़ने पर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के लिए प्लाज्मा की मांग भी बढ़ गयी है. लेकिन कोरोना से जंग जीतने वाले शहरवासी प्लाज्मा डोनेट करने में रुचि नहीं ले रहे हैं.
नियमों के अनुसार ब्लड बैंकों से तभी प्लाज्मा लिया जा सकता है, जब किसी डोनर को बदले में प्लाज्मा दान कराने लाएं, जो पहले संक्रमण से ठीक हो चुका है. ऐसे में लोगों को प्लाज्मा के लिए भटकना पड़ रहा है. जानकारों की मानें, तो मार्च व अप्रैल में कोविड के केस बढ़ने के साथ ही शहर में प्लाज्मा की डिमांड भी दोगुनी बढ़ गयी है.
पीएमसीएच व एनएमसीएच के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ रही है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि एक माह पहले तक औसतन एक या न के बराबर व्यक्ति की प्लाज्मा की मांग ब्लड बैंकों को पड़ रही थी. लेकिन अब रोजाना औसतन दो या तीन मरीजों को कोविड वार्ड में भर्ती किया जा रहा है.
भर्ती मरीजों में करीब दो मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ रही है. दोनों मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक ब्लड बैंकों में प्लाज्मा दान करने वाले बहुत कम हैं और लेने वालों की संख्या अधिक है.
पटना एम्स में प्रदेश की सबसे पहली व बड़ी प्लाज्मा बैंक मशीन उपलब्ध है. एम्स के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना के बढ़ने पर प्लाज्मा की मांग भी चार गुना तक बढ़ गयी है. पहले हर दिन औसतन एक व्यक्ति प्लाज्मा लेने के लिए एम्स आ रहा था. लेकिन अब हर रोज तीन से चार लोग प्लाज्मा के लिए ब्लड बैंक से संपर्क कर रहे हैं. इससे कई की जान भी बचायी जा चुकी है.
संक्रमित के ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा लिया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार 28 दिन बाद शरीर में काफी मात्रा में एंटीबॉडीज बन चुकी होती हैं. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा है. आइजीआइएमएस, एम्स व पारस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा की लेटेस्ट मशीन हैं. डोनेट करने वाले को पांच हजार मिलते है.
Posted by Ashish Jha