दरभंगा. कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या अनवरत बढ़ती जा रही है. स्थिति इतनी विकराल हो गयी है कि शव जलाने के लिए चिता भी खाली नहीं मिल रहा है. चिता की आग ठंडी भी नहीं होती कि दूसरी लाश अंतिम संस्कार के लिए पहुंच जाती है. बीती रात की स्थिति तो विभत्स नजर आयी.
शनिवार को जिला में कोरोना का कहर टूट पड़ा था. एक दर्जन से अधिक लोगों की जान इसने ले ली थी, जिसमें कुछ लोग दूसरे जिलों के भी थे. शाम तक सात शव अंत्येष्टि के लिए पड़े थे. नगर निगम के कर्मियों के साथ कबीर सेवा संस्थान के सदस्य अंतिम क्रिया में जुटे थे. एक साथ मुक्तिधाम में सभी छह चिताएं जल उठी.
यहां बता दें कि इस स्थल पर आधा दर्जन ही चितास्थल बना है. इस वजह से सातवें शव को लेकर इनलोगों को वापस लौट जाना पड़ा. यहां बता दें कि रविवार को भी जिला के सात लोगों की मौत कोरोना से हुई है. तीन मधुबनी के मृतक हैं. ऐसे में आज भी सभी शव का अंतिम संस्कार होना संभव नहीं नजर आता. कारण चिता की आग ठंडी होने के बाद ही शव को प्लेटफार्म पर रख पाना संभव है.
इन लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद पूर्व से दो चिता प्लेटफार्म पर पड़े राख को किसी तरह हटाकर अंत्येष्टि की. इसमें नगर निगम व जिला प्रशासन की ओर से राशिद परवेज, नागमणि सिंह, दीपक व रंजीत तथा कबीर सेवा संस्थान की ओर से वरिष्ठ पत्रकार नवीन सिन्हा, सुरेंद्र महतो, मो. उमर, भोला गुप्ता व खलीकुज्जमा शामिल थे.
कोरोना इंसान के कई रूपों का दीदार भी करा रहा है. डीएमसीएच में कोरोना से मृत दो शव को उनके परिजनों ने छोड़ दिया. एक शव के साथ मुखाग्नि देने के लिए केवल एक बच्चा पहुंचा था. वहीं एक अन्य शव के साथ तीन लोग आये. पीपीइ किट भी पहना, किंतु अंतिम संस्कार स्थल से काफी पहले ही से लौट गये. ताज्जुब की बात यह है कि इतने के बावजूद सुरक्षा को लेकर लोग संभल नहीं रहे.
Posted by Ashish Jha