Coronavirus in Bihar : कोरोना की तीसरी लहर और होगी खतरनाक, बिहार के साढ़े तीन करोड़ युवा और बच्चों हो सकते हैं बीमार
कोरोना वायरस की मौजूदा दूसरी लहर युवाओं पर तेजी से वार कर रही है. वहीं, तीसरी लहर में बच्चों पर भी इसका असर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है. पटना सहित पूरे बिहार की करीब 12 करोड़ से अधिक चिह्नित आबादी में से 18 से कम आयु वर्ग के करीब साढ़े तीन करोड़ बच्चे और किशोर हैं.
आनंद तिवारी, पटना. कोरोना वायरस की मौजूदा दूसरी लहर युवाओं पर तेजी से वार कर रही है. वहीं, तीसरी लहर में बच्चों पर भी इसका असर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है. पटना सहित पूरे बिहार की करीब 12 करोड़ से अधिक चिह्नित आबादी में से 18 से कम आयु वर्ग के करीब साढ़े तीन करोड़ बच्चे और किशोर हैं.
राहत की बात यह है कि इस आबादी पर पहली और दूसरी लहर के दौरान असर कम रहा. इस साल मार्च से अब तक आये करीब आठ लाख संक्रमितों में से 0 से 14 वर्ष आयु के बच्चे 2.7 प्रतिशत यानी करीब 25 हजार संक्रमित हुए हैं.
18 से कम उम्र वालों का भी टीकाकरण हो जल्द
अभी बिहार सहित देश में 18 साल के युवा से लेकर बुजुर्गों तक का टीकाकरण हो रहा है, जबकि पूरे बिहार की बात करें तो इससे कम आयु वर्ग की करीब साढ़े तीन करोड़ आबादी है. लेकिन इनके वैक्सीनेशन की तैयारी अभी नहीं है.
हालांकि देश स्तर पर इतने उम्र वाले लोगों का टीका लगे, इसको लेकर लगातार तैयारी की जा रही है. यहां तक कि ट्रायल को भी मंजूरी मिल गयी है. ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही है कि जून महीने तक 2 से 18 साल तक के बच्चों का भी टीका लगना शुरू हो जायेगा.
बड़े अस्पतालों पर ही बढ़ेगी निर्भरता
बच्चों के मामले बढ़ने पर राजधानी के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एम्स, एनएमसीएच जैसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों पर ही अधिक निर्भरता रहेगी. इसे देखते हुए जिले की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में भी गंभीर शिशुओं के उपचार की व्यवस्था पहले से ही करने की आवश्यकता है.
हालांकि शहर के पीएमसीएच में छोटा ऑक्सीजन प्लांट शुरू कर दिया गया है. बड़े की तैयारी की जा रही है. वहीं, आइजीआइएमएस में भी ऑक्सीजन प्लांट के अलावा बाइपेप मशीन व वेंटिलेटर और आइसीयू में खासकर बच्चों के लिए बेड बढ़ाने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किया गया है.
शिशु इंटेंसिव यूनिट व ऑक्सीजन प्लांटों की दरकार
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. मौजूदा स्थिति की बात करें, तो पूरे बिहार में पहले से ही शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित रखने के मामले में निचले पायदान वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल है.
Posted by Ashish Jha