लखीसराय. बिहार में बढ़ते अपराध पर एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सरकार पर हमला बोला है. विधानसभा अध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अच्छे अधिकारियों को हटाकर सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दे रही है. अपराध पर काबू पाने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह नाकाम दिख रहा है. उन्होंने कहा कि पिपरिया में आज फिर मर्डर हुआ है. बिहार में अपराध का ग्राफ तेज़ी से बढ़ रहा है. कहीं कोई सुनवाई नहीं है. जिन अधिकारियों को कानून व्यवस्था ठीक करने की जिम्मेदारी दी गयी है, उन्हें इसके लिए जवाबदेही भी तैयार कर लेना चाहिए थी.
विजय सिन्हा ने कहा कि सिर्फ डीएम-एसपी के तबादले से काम नहीं चलेगा. अधिकारियों की मानसिकता को बदलने की जरुरत है. उनकी लापरवाही पर ब्रेक लगाना होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि वो जिलों में अच्छे अधिकारीयों को रखें और भ्रष्ट अधिकारियों को साइड कर देना चाहिए. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष का आक्रोश चरम पर दिख रहा था. उन्होंने कई अधिकारियों के नाम लेते हुए अपराध के मुद्दे पर जमकर भड़ास निकाली. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि अपराध की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसको लेकर विधासभा में हमारी कमेटी मौन नहीं रहेगी. हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इससे अवगत कराएंगे. इसको लेकर हम ऊपर तक आवाज़ उठाएंगे.
विजय सिन्हा इससे पहले भी पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते रहे हैं. इस मसले पर उनकी सीएम नीतीश कुमार से विधानसभा में ही तीखी बहस हो गयी थी. आखिरकार नीतीश को कहना पड़ा कि, सदन ऐसे नहीं चलेगा यह संविधान से ही चलेगा. वो मामला भी लखीसराय में हुई एक घटना से जुड़ा हुआ था.
कुछ दिन पहले लखीसराय में सरस्वती पूजा के दौरान पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया था. युवक पर कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप था. कथित तौर पर गिरफ्तार व्यक्ति स्पीकर विजय सिन्हा का करीबी था. स्पीकर का कहना है कि इस घटना में पुलिस खानापूर्ति कर रही है और जानबूझ कर उसे फंसाया जा रहा है. नीतीश कुमार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि, हमारी सरकार न तो किसी को बचाती है और न ही फंसाती है.
नीतीश कुमार ने कहा कि सिस्टम संविधान से चलता है. एक ही मामले को रोज-रोज उठाने का कोई मतलब नहीं है. विशेषाधिकार समिति की जो भी रिपोर्ट होगी, हम उस पर विचार करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि, सिस्टम संविधान से चलता है. किसी भी क्राइम की रिपोर्ट कोर्ट में दी जाती है, सदन में नहीं. ऐसे में जिसका जो अधिकार है, उसे करने दिया जाए. इस मामले को अकारण आगे बढ़ाने की जरूर नहीं है.