कृष्ण कुमार, पटना: बिहार की पांच नदियाें गंगा, कोसी, सोन, महानंदा और गंडक में डाॅल्फिन की गिनती शुरू हुई है. नमामि गंगे परियोजना के तहत डॉल्फिन की गिनती केंद्र सरकार की पहल से हो रही है. इसके लिए नोडल एजेंसी वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को मिली है. गंगा, कोसी और महानंदा नदियों में गिनती का काम पूरा हो चुका है, अब गंडक और सोन नदी में गिनती होनी है. 2018 में बिहार सरकार ने अपने संसाधनों से राज्य में डॉल्फिन की गिनती करवाई थी, इसमें प्रदेश में 1464 डॉल्फिन पाये गये थे.
नदियों में डॉल्फिन को पाये जाने की संख्या के आधार पर संबंधित नदी की स्वच्छता तय होती है. इससे नदी का फूड चेन भी संतुलित रहता है. ऐसे में डॉल्फिन की गिनती के दौरान डॉल्फिन पर खतरा वाले इलाकों की पहचान कर खतरे के निवारण के लिए योजना बनायी जा सकेगी. आसपास के लोगों को डॉल्फिन की उपयोगिता और संरक्षण के बारे में जागरूक किया जायेगा. बिहार सरकार के प्रयास से ही पांच अक्टूबर, 2009 को केंद्र सरकार ने गांगेय डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था. बिहार 1990 से डॉल्फिन का संरक्षण कर रहा है.
सूत्रों के अनुसार नदियों में डॉल्फिन की गिनती के लिए जीपीएस वाली बोट पर चार-पांच प्रशिक्षित लोग तैनात होते हैं. डॉल्फिन हर दो मिनट पर सांस लेने के लिए उछल कर पानी से बाहर आती है. इस दौरान नदी में घूम रही नाव पर तैनात लोग उनकी गिनती करते जाते हैं. नदी में नाव आगे बढ़ती जाती है और डॉल्फिन को देख कर उसकी गिनती होती है. नदी की डॉल्फिन का वजन समुद्री डॉल्फिन के मुकाबले ज्यादा होता है. इससे वह समुद्री डॉल्फिन जितना ऊंचा नहीं उछल पाती है.
Also Read: पटना में परिवहन परिसर का 14 फरवरी के बाद होगा उद्घाटन, जून तक तैयार होगा डॉल्फिन केंद्र
सूत्रों के अनुसार बिहार में गंगा, गंडक, घाघरा नदियों में कुल 1464 डॉल्फिन 2018 की गिनती में पाये गये थे. उस समय कोसी और महानंदा में इनकी गिनती नहीं हुई थी. इसमें से केवल गंगा नदी में कुल 1048 डॉल्फिन पाये गये थे. गंगा में बक्सर से मोकामा के बीच 298, मोकामा से साहिबगंज के बीच 750 डॉल्फिन पाये गये थे. इसमें पटना के गांधी घाट से फतुहा के बीच में 22 डॉल्फिन शामिल थे. इसके अलावा गंडक नदी में 255 और घाघरा में 161 डॉल्फिन शामिल थे.
https://www.youtube.com/watch?v=oF7mLS7fi8o