पटना. बिहार में खाद्य प्रसंस्करण आधारित विश्वविद्यालय खोले जाने की योजना है. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने प्रभात खबर को बताया कि खाद्य प्रसंस्करण आधारित दो विश्वविद्यालय खोले जाने हैं. एक उत्तर बिहार में और दूसरा उत्तर-पूर्व राज्यों में प्रस्तावित है.
इस संबंध में सोमवार को लोकसभा में एक बिल पारित किया गया है. पारस ने कहा कि यह विश्वविद्यालय उत्तर बिहार में कहां खोला जायेगा, यह अभी तय नहीं किया गया है. विधेयक पारित होने के बाद अब इस पर होमवर्क किया जायेगा.
जल्द ही इसकी भूमिका तैयार की जायेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर बिहार विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पादन के लिए जाना जाता है. उनकी प्रोसेसिंग से जुड़ी विधाओं के नव प्रवर्तन और तकनीकी शिक्षा देने के लिए इस तरह का विश्वविद्यालय खोला जाना है. उन्होंने बताया कि अभी देश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित विश्वविद्यालय केवल हरियाणा के सोनीपत और तामिलनाडु स्थित तंजावुर में है.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण विभाग के तत्वावधान में सोनीपत में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी ,इंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट(एनआइएफटीइएम ) स्थापित है. यह एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है. इसी विभाग के तहत तंजावुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (आइआइएफपीटी ) हैं.
रिसर्च एवं डेवलपमेंट से जुड़े यह दोनों संस्थानों के बाद अब बिहार और उत्तर-पूर्व में इसी तरह के उच्च स्तरीय संस्थान खोले जायेंगे. इन संस्थानों के खुलने न केवल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, बल्कि इस उद्योग को बढ़ावा देने वाली शैक्षणिक तकनीक विकसित की जायेगी.
बिहार में विश्व का 90% मखाना उत्पादन होता है. इस तरह बिहार में मखाना आधारित इंडस्ट्रीज की संभावनाएं बढ़ गयी हैं. देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है. इसमें 90% उत्पादन अकेले बिहार में होता है. इसके उत्पादन का तीन-चौथाई इलाका मिथिलांचल का है. बिहार में लगभग 120,000 टन बीज मखाने का उत्पादन होता है. इसमें 40 हजार टन मखाने का लावा प्राप्त होता है.
बिहार में सर्वाधिक मखाना उत्पादन करने वाले जिलों में मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार ,पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और सुपौल हैं. जानकारों के मुताबिक इसी तरह चाय और फल उत्पादन से जुड़ी तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिला तो बिहार खाद्य प्रसंस्करण के टॉप पर पहुंच सकता है.
Posted by Ashish Jha