पूर्णिया : शहर की एक वीआइपी सड़क के एक लंबे अरसे से निर्माण नहीं होने से नाराज स्थायी लोक अदालत ने नगर निगम की खबर ली है और निगम के आयुक्त को 60 दिनों के अंदर सड़क बनवाने का आदेश पारित किया है. अदालत ने कहा है कि यदि 60 दिनों के अंदर सड़क निर्माण नहीं हुआ तो सड़क निर्माण होने तक प्रति माह 50 हजार रुपये विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करना होगा. दरअसल थाना चौक से आरएनसाव चौक भाया कलाभवन रोड को लेकर अधिवक्ता अरुणाभ भाष्कर उर्फ गौतम वर्मा ने पिछले वर्ष 31 अगस्त को स्थायी लोक अदालत में शिकायत दर्ज करायी थी. इसके बाद नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह उपस्थित हुए और उन्होंने अपना जवाब भी प्रस्तुत किया. तत्पश्चात उभय पक्षों की ओर से बहस हुई.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद लोक अदालत के दो सदस्यीय जजों द्वारा इस मामले में आदेश पारित किया गया. जर्जर सड़क को लेकर कोर्ट ने नाराजगी भी जतायी. कोर्ट ने माना कि नगर निगम द्वारा सड़क के निर्माण में घोर लापरवाही बरती गयी है. नगर निगम को आमजनता के जन-जीवन का कोई ख्याल नहीं है और पूर्ण रूप से नगर निगम संवेदनहीन हो गया है. मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष केशरी नंदन गुप्ता तथा सदस्य द्वय रेणु वर्मा, राकेश चन्द्र लोहिया ने फैसला सुनाया कि नगर निगम 60 दिनों के अंदर इस सड़क का निर्माण मानक के अनुसार करा दें जिससे आम जनता का आगमन सुलभ हो जाये. अगर निर्माण कार्य 2 माह के अंदर संपन्न नहीं होगा तो 50 हजार रुपये प्रति माह के दर से जुर्माना सचिव, जिला विधिक सेवा पूर्णिया को जमा कराना होगा. इस राशि की वसूली निगम के इस सड़क निर्माण कराने में जिम्मेवार लोगों के वेतन या संवेदक से वसूली जायेगी.
इससे पहले अधिवक्ता अरुणाभ भास्कर ने जन उपयोगी सेवा से संबंधित पीएलए वाद संख्या-354/2019 दर्ज कराया है. कोर्ट में दिये गये आवेदन में बताया है कि नगर निगम के अन्तर्गत थाना चौक से भाया कला भवन से आर एन साव चौक तक सड़क जर्जर है. इससे आवाजाही में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी रास्ते से व्यवहार न्यायालय, महिला कॉलेज, कन्या उच्च विद्यालय, कला भवन, गायत्री मन्दिर, भारतीय स्टेट बैंक, बस स्टैण्ड, लाईन बाजार, भट्ठा बाजार आदि मार्ग को जाते हैं. न्यायाधीश का भी न्यायालय में आने का रास्ता है एवं आते जाते हैं. इसके अलावा आयुक्त, आरक्षी उपमहानिरीक्षक भी अपने कार्यालय आने का यही रास्ता है. इतने महत्वपूर्ण सड़क को गड्दे में तब्दील होने कारण प्रतिदनि कोई न-कोई दुर्घटना होती रहती है और बरसात में खतरनाक बन जाता है. नगर निगम ऐसे महत्वपूर्ण सहक के प्रति जबावदेह नहीं है. जो घोर लापरवाही का द्योतक है. वादी ने साक्ष्य के तौर पर अपना शपथ पत्र तथा सड़क पर बने गड्ढे का फोटोग्राफ प्रस्तुत किया. अधिवक्ता ने अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर किया है.
स्थायी लोक अदालत का गठन विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियमए 1987 की धारा 22-बी की उप धारा (1) के अंतर्गत हुआ है। जनहित सेवाओं से संबंधित विभाग जैसे बिजली, पानी, अस्पताल आदि से संबंधित मामलों को, मुकदमें दायर करने से पहले आपसी सुलह से निपटाने के लिए राज्य प्राधिकरण द्वारा स्थायी लोक अदालतों की स्थापना की गई है. कोई भी पक्ष जिसका संबंध इन जनहित सेवाओं से है वह इन विवादों को निपटाने के लिए स्थायी लोक अदालत में आवेदन कर सकता है.
posted by ashish jha