17 साल बाद शेखपुरा कोर्ट का फैसला,पूर्व सांसद राजो सिंह हत्याकांड में 5 आरोपित बरी, 2005 में हुई थी हत्या
राजो सिंह के पौत्र व हत्याकांड के सूचक बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार का होस्टाइल कर जाना इनकी रिहाई में निर्णायक साबित हुआ. नौ सितंबर, 2005 को शेखपुरा स्थित कांग्रेस कार्यालय में राजो सिंह की हत्या गोली मारकर कर दी गयी थी.
शेखपुरा. पूर्व सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजो सिंह की हत्या के 17 साल पुराने मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने पांचों आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. विधायक और सांसद मामलों के विशेष न्यायाधीश एडीजे-3 संजय सिंह ने यह फैसला सुनाते हुए सभी को इसको लेकर जश्न मानाने और जुलूस आदि निकालने से मना कर दिया. जिन आरोपितों को बरी किया गया, उनमें शंभू यादव, अनिल महतो, बच्चू महतो, पिंटू महतो और राजकुमार महतो शामिल हैं. इसके पूर्व इस मामले में कुख्यात अशोक महतो को साक्ष्य के अभाव में बरी किया जा चुका है, जबकि दो आरोपित कमलेश महतो और संजय कुमार उर्फ मुन्ना की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो चुकी है.
नौ सितंबर, 2005 को शेखपुरा में कांग्रेस कार्यालय में गोली मार हत्या कर दी गयी थी
राजो सिंह के पौत्र व हत्याकांड के सूचक बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार का होस्टाइल कर जाना इनकी रिहाई में निर्णायक साबित हुआ. नौ सितंबर, 2005 को शेखपुरा स्थित कांग्रेस कार्यालय में राजो सिंह की हत्या गोली मारकर कर दी गयी थी. उनके साथ बैठे लोहन गांव के अभियंता श्याम किशोर सिंह की भी गोली लगने से मौत हो गयी थी. इस संबंध में राजो सिंह के पोते और जदयू विधायक सुदर्शन कुमार के बयान पर पुलिस ने तब प्राथमिकी दर्ज की थी.
पुलिस जांच में अशोक चौधरी की संलिप्तता नहीं पायी गयी थी
अपर लोक अभियोजल शंभू शरण प्रसाद सिंह ने बताया कि प्राथमिकी में मंत्री अशोक चौधरी, तत्कालीन जदयू विधायक रणधीर कुमार सोनी, नगर पर्षद शेखपुरा के पूर्व अध्यक्ष मुकेश यादव, टाटी पुल नरसंहार के सूचक मुनेश्वर प्रसाद, लट्टू पहलवान सहित अन्य को नामजद किया गया था. लेकिन पुलिस ने अशोक चौधरी, रणधीर कुमार सोनी, लट्टू पहलवान, मुकेश यादव और मुनेश्वर प्रसाद की इस हत्याकांड में संलिप्ता नहीं पाने के बाद उनके खिलाफ आरोपपत्र समर्पित नहीं किया.
पुलिस ने 36 गवाह प्रस्तुत किये, उनमें विधायक सुदर्शन भी थे
अभियोजन ने कुल 36 गवाह प्रस्तुत किये, जिनमें सूचक राजो सिंह के पौत्र व विधायक सुदर्शन कुमार, उनके ग्रामीण, प्रत्यक्षदर्शी, पुलिस पदाधिकारी, डॉक्टर आदि शामिल हैं. बचाव पक्ष के अधिवक्ता रवींद्र प्रसाद सिन्हा व गुरुवेश्नंदन ने बताया कि फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि 31 गवाहों ने घटना का समर्थन नहीं किया, जिनमें सूचक विधायक सुदर्शन कुमार भी हैं. ये सभी गवाही के समय होस्टाइल हो गये. प्रत्यक्षदर्शी माने जाने वाले चार गवाह भी अपने बयान से गवाही के दौरान मुकर गये.