बिहार के चर्चित इचरी नरसंहार में कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 9 आरोपियों को मिली सजा, पूर्व मंत्री रिहा
वर्ष 1993 में बिहार के भोजपुर जिले के इचरी गांव के कई लोगों को आइपीएफ समर्थकों ने गोली मार दी थी. इस गोलीबारी में 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी. इसी चर्चित इचरी नरसंहार में कोर्ट ने 30 साल बाद फैसला सुनाया है.
बिहार के भोजपुर जिले में करीब 30 साल पहले हुए चर्चित इचरी नरसंहार नरसंहार में तृतीय अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने बुधवार को नौ आरोपितों को उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनायी है. इस मामले में पूर्व मंत्री और जदयू नेता भगवान सिंह कुशवाहा को साक्ष्य के अभाव में आरोप मुक्त करते हुए रिहा कर दिया गया.
नौ आरोपियों को उम्रकैद
अभियोजन की ओर से पीपी नागेश्वर दुबे एवं एपीपी प्रशांत रंजन ने बहस की थी. तृतीय एडीजे सत्येंद्र सिंह ने आरोपित राजेंद्र साह, बुद्धू साह, पुलिस महतो, गौरी महतो, बहादुर राम, सत्यनारायण, दुलारचंद यादव, बालेश्वर राम और भरोसा राम को भादवि की धारा 302/149 के तहत उम्रकैद 307/149 के तहत 10-10 वर्षों के सश्रम कैद तथा 27 आर्म्स एक्ट के तीन- तीन साल के सश्रम कैद एवं 25 -25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
क्या है मामला
एपीपी सियाराम सिंह ने बताया कि 29 मार्च, 1993 को जगदीशपुर अनुमंडल क्षेत्र के आयर थाना अंतर्गत इचरी गांव में कुछ लोग भाजपा की मीटिंग से ट्रैक्टर पर गांव लौट रहे थे. तभी आटापुर गांव के समीप नागा बाबा के मठिया के पास आइपीएफ समर्थकों ने फायरिंग कर दी, जिससे इचरी गांव के पांच लोगों की मौत हो गयी. इनमें रामलोचन सिंह, विनय सिंह, जालिम सिंह, हृदयानंद सिंह और अनंत सिंह की मौके पर ही मौत हो गयी थी.
वहीं, फायरिंग में जनेश्वर सिंह, सतेंद्र सिंह, उमेश सिंह, गुप्तेश्वर सिंह, मटुकधारी सिंह, रवींद्र सिंह, भिखन साह और जयप्रकाश सिंह समेत नौ लोग घायल हो गये थे. सभी मृ़तक और घायल इचरी गांव के रहने वाले थे. गोलीबारी के बाद मामले में घायल गुप्तेश्वर सिंह ने नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप गठित किया गया था. अभियोजन की ओर से 12 गवाहों की गवाही हुई थी. वहीं, बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह पेश किये गये.
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