पटना, मगध व सारण प्रमंडल के सभी CO से एक-एक कर कोर्ट ने जाना, क्यों है जलीय क्षेत्रों की जमीन पर अतिक्रमण
कोर्ट ने पटना, मगध और सारण प्रमंडलों के सभी अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने अपने क्षेत्रों के जलीय क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को हटा कर चार सप्ताह में कोर्ट को हलफनामा दायर कर पूरी जानकारी मांगी है.
Patna. पटना हाइकोर्ट के आदेश के बाद मुख्य न्यायाधीश के अध्यक्षता वाली खंडपीठ में गुरुवार को राज्य के पटना, मगध व सारण प्रमंडल के सभी अंचलों के अंचलाधिकारी दोपहर बाद सवा दो बजे हाजिर हुए. उनकी ओर से राज्य के जलीय क्षेत्रों की जमीन पर किये गये अवैध अतिक्रमण और उसे हटाने के लिए की गयी कार्रवाई और पूरी तरह से उसे अतिक्रमण मुक्त करने की समय सीमा से संबंधित शपथ पत्र कोर्ट में दायर किया गया. कोर्ट ने अदालत में उपस्थित सभी अंचलाधिकारी से एक-एक कर उनके अंचल से संबंधित जलीय क्षेत्रों में किये गये अतिक्रमण और उनके द्वारा उसे हटाने की कार्रवाई और आने वाली समस्या की जानकारी ली.
सभी सीओ ने कोर्ट में तालाब की जमीन से अतिक्रमण हटाने का दिया शपथ पत्र
कुछ अंचलाधिकारियों ने इस मामले में आने वाली बाधाओं और समस्याओं के संबंध में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को अवगत कराया. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उनसे कहा कि वे अपनी समस्याओं को अपने विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष ले जाएं ताकि उनके द्वारा उचित निर्णय लिया जा सके. कोर्ट ने सभी अंचलाधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा उनके द्वारा जो भी शपथ पत्र हाइकोर्ट में दायर किया जा रहा है, उनकी जांच हाइकोर्ट के अधिवक्ताओं की टीम द्वारा करायी जायेगी.
शपथ पत्र में गड़बड़ी मिलने पर होगी विभागीय कार्रवाई
सभी सीओ द्वारा दिया गया शपथ पत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी पायी जाती है, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलायी जायेगी. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर रामपुनीत चौधरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त बातें कहीं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इन तीनों प्रमंडलों के सभी अंचलों के अंचलाधिकारी को पूरी जानकारी और शपथ पत्र के साथ एक दिसंबर को कोर्ट में तलब किया था.
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चार सप्ताह बाद होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने पटना, मगध और सारण प्रमंडलों के सभी अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने अपने क्षेत्रों के जलीय क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को हटा कर चार सप्ताह में कोर्ट को हलफनामा दायर कर पूरी जानकारी दें. कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में पहले बड़ी संख्या में जलीय क्षेत्र थे, जिसका उपयोग कृषि कार्य, पेय जल व अन्य कार्यों के लिए होता था. अब अधिकांश जलीय क्षेत्रों पर अवैध कब्ज़ा हो गया है. उन्हें पाट कर उस भूमि पर अवैध तरीके से कई प्रकार के निर्माण किये गये हैं. इससे पेय और कृषि कार्य के लिए जल की उपलब्धता कम हुई है. वर्षा के जल को भी रोकने का मार्ग खत्म हो गया है. इस मामले पर चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई की जायेगी .