बिहार में अदालत का त्वरित न्याय, शराब पीने पर जिस दिन गिरफ्तारी, उसी दिन सजा
जिले में पहली बार दो आरोपितों को दूसरी बार शराब पीने पर पकड़े जाने पर उत्पाद कोर्ट ने एक ही दिन में एक-एक साल की जेल की सजा सुनायी है. बिना किसी जिरह या बेल की सुनवाई के उत्पाद एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इन दोनों आरोपितों को सजा सुनायी गयी है. वैशाली जिले का यह पहला मामला है.
हाजीपुर (वैशाली). जिले में पहली बार दो आरोपितों को दूसरी बार शराब पीने पर पकड़े जाने पर उत्पाद कोर्ट ने एक ही दिन में एक-एक साल की जेल की सजा सुनायी है. बिना किसी जिरह या बेल की सुनवाई के उत्पाद एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इन दोनों आरोपितों को सजा सुनायी गयी है. वैशाली जिले का यह पहला मामला है. इस संबंध में उत्पाद कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक रमेश कुमार ने बताया कि उत्पाद पुलिस ने रविवार को दो आरोपितों को उत्पाद कोर्ट-दो के जज सुशील कुमार दीक्षित के कोर्ट में प्रस्तुत किया था.
एक-एक साल की सजा सुनायी गयी
पहला आरोपित भगवानपुर थाना क्षेत्र के कीरतपुर वार्ड नंबर 11 का रहनेवाला विक्की कुमार और दूसरा सराय थाना क्षेत्र के जहांगीरपुर पटेढ़ा का रहने वाला राजेश राम है. दोनों आरोपितों को रविवार को दिन में गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था. उत्पाद पुलिस के प्रतिवेदन में बताया गया था कि इसके पहले भी दोनों शराब पीने के आरोप में पकड़े गये थे जब दूसरी बार इन्हें पकड़ा गया, तो एक-एक साल की सजा सुनायी गयी.
इडी ने शराब तस्कर की 3.5 करोड़ की संपत्ति अटैच की
पटना. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने शराब तस्कर वीडियो राय और उसके परिवार के लोगों की आठ अचल संपत्तियों को कुर्क कर लिया है. समस्तीपुर स्थित इन संपत्तियों का मूल्य करीब तीन करोड़ 51 लाख 14 हजार रुपये है. धन शोधन मामले में पीएमएलए, 2002 के तहत यह कार्रवाई की गयी है. इडी ने आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के आधार पर 22 फरवरी को इसीआर दर्ज कर वीडियो राय और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी.
करोड़ों की अचल संपत्ति अर्जित की
इडी की जांच से पता चला कि वीडियो राय ने शराब की खरीद-बिक्री और अन्य आपराधिक गतिविधियों से करोड़ों की अचल संपत्ति अर्जित की है. काली कमाई को इडी ने शराब… छिपाने के लिए वह रिश्तेदारों और परिवार के लोगों को पैसा देता था. बदले में विभिन्न बैंक में उनके खातों का उपयोग कर रहा था.
मामले की जांच अभी चल रही है
इसके अलावा वह अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर मनगढ़ंत आइटीआर दाखिल करता था. जांच से यह भी पता चला कि अचल संपत्तियों- भूमि को तीसरे पक्ष के नाम पर स्थानांतरित कर दिया. सेल डीड कर भुगतान लंबित रखा गया. ऐसा वह कानून की नजर से संपत्ति को बचाने के लिए करता था. मामले की जांच अभी चल रही है.
इन धाराओं में दर्ज है केस :
120 बी 414 , 420, 467 , आइपीसी की धारा 471, 1860 और धारा 25 (1-बी) ए , 26 आर्म्स एक्ट, 1959 आदि.