छपरा शराबकांड पर CPIML और JDU आमने सामने आ गयी है. भाकपा-माले के राज्य सचिव और विधायक दल के नेता महबूब आलम ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि जहरीली शराब पीने से अब तक 70 से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत हुई है. पार्टी विधायकों का एक दल सारण गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट पार्टी को सौंपी है. दल में विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, मनोज मंजिल, पूर्व विधायक अमरनाथ यादव, सारण जिला सचिव सभा राय सहित स्थानीय पार्टी नेता-कार्यकर्ता शामिल थे. पार्टी ने सरकार से सारण, सीवान व अन्य जगहों पर जहरीली शराब से हुई मौतों पर संवेदनशील रूख अपनाते हुए मृतकों के परिजनों के पुनर्वास व मुआवजे का प्रावधान करने की मांग की.
वीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि कहा कि मौतों की संख्या व दायरा लगातार बढ़ रही है. इसका विस्तार अब सीवान तक हो गया है. इसे सारण में मिड डे मिल कांड के बाद दूसरा जनसंहार बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी शुरू से ही शराबबंदी कानून के समर्थन में हैं. हमने बारंबार कहा है कि जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला तभी रूकेगा जब शराब माफियाओं पर कार्रवाई होगी और उसके राजनीतिक संरक्षकों को निशाना बनाया जायेगा. 19 दिसंबर को पूरे राज्य में एकदिवसीय विरोध दिवस का आयोजन होगा. माले का एक प्रतिनिधिमंडल इस मसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिलेगा. मौके पर विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, विधायक गोपाल रविदास, विधायकमनोज मंजिल शामिल थे.
राज्य में विपक्ष के द्वारा लगातार मरने वालों के लिए मुआवजे की मांग की जा रही है. मगर बिहार विधानसभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने साफ कहा था कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू है. लोगों को शराब न पीने के लिए जागरुक भी किया गया है. इतने के बाद भी अगर कोई शराब पीयेगा तो मरेगा. शराब के कारण मरने वालों को सरकार किसी भी हाल में मुआवजा नहीं देने जा रही है. मुख्यमंत्री के इस बयान का उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी समर्थन किया था. हालांकि CPIML के अलग बयान से एक बार फिर से राजनीति गर्म हो गयी है.