सिकटा से माले विधायक ने बिहार सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार कोरोना का डेटा छुपाने में लगी है. उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार करने एवं गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने में हेल्थ सेंटरों की स्थिति सुदृढ़ करने को लेकर आगामी दस जून को माले कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन करेंगे. विधायक वीरेंद्र गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कोरोना महामारी पर रिपोर्ट के दौरान सच्चाई सामने आई कि कोरोना महामारी के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई मौतों की वास्तविक संख्या सरकारी संख्या से चार गुना अधिक है.
माले विधायक ने आगे कहा कि सूबे और केंद्र की सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान गरीबों के मौतों के आकड़ों का भी घोटाला करने में लगी है. कोरोना महामारी के बीच अनेक मौतें ऐसी हैं जिनमें कोविड के तमाम लक्षण पाए गये, लेकिन न तो एंटीजन टेस्ट और न ही आरटीपीसीआर जांच पॉजिटिव आया.
सर्दी-खांसी की शिकायत वाले बड़ी संख्या में ऐसे मृतक भी हैं, जो अस्पताल गए हीं नहीं, गांव के ही डाक्टर से इलाज कराते रहे और काल कवलित हो गये. अस्पतालों में आम बीमारियों का इलाज बंद होने और आवागमन की कठिनाइयों के कारण भी अनेक लोग समुचित इलाज के अभाव में मारे गए हैं. विधायक ने कहा कि माले नेता व कार्यकर्ता ऐसे तमाम लोगों की सूची बनाने का अभियान चला रहें हैं. जिनकी मृत्यु कोरोना काल में हुई है.
वहीं सरकार से मांग किया है कि सरकार ऐसे तमाम लोगों को कोविड से मौत मान कर सभी मृतकों के आश्रितों को 10 लाख की अनुग्रह राशि प्रदान करे और साथ ही अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेवारी ले. सबसे संगीन मुद्दा गांवों में स्वास्थ्य उप केन्द्र है, मगर किसी में भी इलाज नहीं होता है. उपकेंद्र से सदर अस्पतालों तक की हालत काफी खस्ता है. डाक्टर-नर्स-दवा सबकुछ की भारी कमी है. सैकड़ों पद रिक्त हैं. महामारी में सरकार की स्वास्थ्य सेवा की असलियत खुलकर सामने आ गई है.
Posted bY : Avinish Kumar Mishra