Gaya: तीन साल पहले लगा था क्रिमेशन मशीन, लेकिन ठीक ढ़ंग से नहीं होता अंतिम संस्कार, कौन जिम्मेदार?

Gaya: शहर में प्रदूषण रहित शवदाह के क्रिमेशन मशीन लगाने के तीन साल बीत जाने के बाद भी इसमें शवदाह निरंतर रूप से चालू नहीं हो सका है.

By Prashant Tiwari | December 30, 2024 6:21 PM

Gaya: शहर में प्रदूषण रहित शवदाह के लिए छह करोड़ रुपये खर्च कर सौंदर्यीकरण के साथ क्रिमेशन मशीन नगर निगम से लगायी गयी. लेकिन, तीन साल बीत जाने के बाद भी इसमें शवदाह निरंतर रूप से चालू नहीं हो सका है. इसके लिए हर स्तर पर लापरवाही की गयी है. लोगों का कहना है कि मशीन को चालू रखने के लिए पैसा लेकर एक ठेकेदार को निगम से टेंडर दे दिया गया. ठेकेदार भी खुले में शवदाह के लिए निर्धारित पैसे की वसूली कर रहा है और लोगों को प्रदूषण झेलने के लिए छोड़ दिया गया है. मशीन लगाते समय निगम जनप्रतिनिधि व अधिकारी ने साफ तौर पर कहा था कि मशीन से शवदाह के नियम को कड़ाई से पालन कराया जायेगा. यहां धार्मिक परंपरा का निर्वहन करते हुए शवदाह किया जायेगा. इसमें लोगों को भी कम खर्च देना होगा. बाहर में करीब 11 मन लकड़ी शव जलाने में लगती है. यहां पर तीन मन में शवदाह संपन्न हो जायेगा. फिलहाल, स्थिति यह है कि माह में पांच छह शवदाह ही मशीन के माध्यम से हो रहा है, जबकि यहां हर दिन 30-35 शवों का दाह-संस्कार होता है.

मशीन के संबंध में किया गया था झूठा प्रचार

मशीन लगते ही शवदाह में दिक्कत आने, जलाने में अधिक समय लगने जैसी झूठी भ्रांतियां लोगों के बीच फैला दी गयीं. शुरू में कुछ लोगों ने इसे झूठा माना, पर बाद में यह प्रचार लोगों के जहन में बैठ गया. हालांकि, सच्चाई इससे काफी परे है. निगम के इंजीनियर ने बताया कि मशीन से शवदाह में काफी कम समय लगता है. शव के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को भी कम खर्च लगता है. मशीन में पूरी तौर से धार्मिक परंपरा को निर्वहन कर शवदाह होता है.

मेयर गणेश पासवान

लोगों को करना होगा सहयोग: मेयर

इस पूरे मामले पर शहर के मेयर गणेश पासवान का कहना है कि लोगों के सहयोग के बिना प्रदूषण रहित शवदाह संभव नहीं हो पा रहा है. एका-दूका ही शव मशीन में जल पा रहा है. इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है. लोगों को जागरूक करने के लिए हर स्तर पर कदम निगम से उठाये जा रहे हैं. सफलतापूर्वक शवदाह का वीडियो बनाकर लोगों के मोबाइल पर भेजा जा रहा है. साथ ही प्रशासनिक सहयोग भी मशीन को चालू कराने के लिए चाहिए. हर बार जिले के अधिकारी को पत्र दिया जा रहा है. खुले में शवदाह बंद होने के बाद ही मशीन से शवदाह करने के लिए लोग प्रेरित होंगे.

इसे भी पढ़ें: बिहार के सासाराम की भाभीजी से ब्राउन शुगर खरीदते थे अपराधी, ऐसे चढ़े रांची पुलिस के हत्थे

Next Article

Exit mobile version