बिहार में क्रिकेट का हाल बेहाल, सामने आई ये वजह, आप भी जानें
क्रिकेट बिहार में खेले जाने वाले सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है. इस लोकप्रिय खेल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न संघ हैं. बिहार क्रिकेट टीम भारत की सबसे पुरानी क्रिकेट टीम में से एक थी
क्रिकेट बिहार में खेले जाने वाले सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है. इस लोकप्रिय खेल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न संघ हैं. बिहार क्रिकेट टीम भारत की सबसे पुरानी क्रिकेट टीम में से एक थी और 1936-37 तक रणजी ट्रॉफी में राज्य का प्रतिनिधित्व करती थी.
धोनी 1998-99 सीजन के लिए बिहार अंडर -19 टीम में खेले थे
विश्व प्रसिद्ध भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को 1998-99 सीजन के लिए बिहार अंडर -19 टीम में शामिल किया गया था और 1999-2000 सीजन में बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया था. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) राज्य में विभिन्न प्रकार की क्रिकेट से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करता है. यह विशेष रूप से राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भूमिकाओं के लिए राज्य की क्रिकेट टीम को खिलाड़ी प्रबंधित करता है.
कीर्ति आजाद ने एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट का गठन किया
बीसीए का भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का सहयोगी सदस्य बना हुआ हैं. पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान राजनेता कीर्ति आजाद ने एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट (एबीसी) का गठन किया था. यह क्रिकेट बोर्ड विशेष रूप से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से संबन्धित नहीं है और अपने प्रारंभिक चरण में हैं. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के मौजूदा समूह के कुछ सदस्य मूल समूह से अलग हो गए और हाल के वर्षों में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) नाम से अपना क्रिकेट बोर्ड स्थापित किया है.
2013 के अंत में कुछ मुद्दों के कारण इस बोर्ड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ा. मोइनुल हक स्टेडियम, पटना के दक्षिणी परिसर में बिहार क्रिकेट अकादमी, बिहार के युवाओं को क्रिकेट खेलने का कौशल प्रदान करने में अग्रणी है. अकादमी का मुख्य उद्देश्य राज्य में नये खिलाड़ियों की क्षमता का उपयोग करना है.
1935 में हुई बीसीए की स्थापना
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) राज्य में क्रिकेट गतिविधियों की निगरानी करता है. यह पूर्ण सदस्य के रूप में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से संबन्धित है. बीसीए की स्थापना 1935 में हुई थी. सुप्रीम कोर्ट भारत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बीसीए को बिहार में क्रिकेट के आयोजन के लिए अधिकृत निकाय के रूप में मंजूरी दी, पर जब बिहार और झारखंड में विभाजन हुआ तब बिहार क्रिकेट संघ और झारखंड के क्रिकेट संघ भी विभाजित हो गये जिस के बाद 2001 में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ का शुरुआत हुई और 2002 में बिसीए ने अपनी मान्यता गवाई.
बीसीसीआई के द्वारा 2008 में मान्यता मिली
बिहार क्रिकेट संगठन को बीसीसीआई के द्वारा 2008 पूर्वी क्षेत्र में मान्यता मिली थी . बीसीए का मुख्य कार्यालय पटना के बुद्ध मार्ग के शैल राज कॉम्प्लेक्स मे है. इस के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, सीईओ मनीस राज और कोच तारिकुर रहमान है .
अध्यक्ष पर पैसा लेकर चयन करने का आरोप
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पर पैसा लेकर चयन करने का आरोप लगा है . बताया जा रहा है उस दौरान बिहार ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के अपने अंतिम मैच में प्लेइंग इलेवन में आठ बदलाव किए. इसके बाद भी टीम को जीत नहीं मिली और वह नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम और अरुणाचल जैसी नई टीमों से पीछे रही. इस बीच बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी विवादों में घिर गए हैं. प्रदेश भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष पर पैसा लेकर खिलाड़ियों का चयन करने का आरोप है.
62 क्रिकेटरों ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया
घरेलू सत्र 2022 की शुरुआत बीसीसीआई की एज ग्रुप टूर्नामेंट में दो अंडर-19 टीमों के प्रवेश के साथ हुआ. दोनों ने बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया . इस दौरान टीम में लगातार बदलाव हुए. सिंतबर 2021 से अब तक 62 क्रिकेटरों ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया. यही नहीं तीन कोच और एक चयनकर्ता को भी महीनों के भीतर बदल दिया गया.
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टीम के चयन में हस्तक्षेप का लगा आरोप
ऐसे में बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी पर टीम के चयन में हस्तक्षेप का आरोप लगा है. उनके सहयोगियों ने आरोप लगाया है कि वह अपने घर पर महत्वपूर्ण चयन बैठकें करते है. अधिकारियों और कोचों का कहना है कि जिन्होंने तिवारी की बात नहीं मानी, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.