बिहार में एक और नदी के वजूद पर संकट, बांसी नदी में डूबकी लगाने आते थे उत्तर प्रदेश व नेपाल से लाखों श्रद्धालु
मधुबनी प्रखंड क्षेत्र के बांसी घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने हेतु उत्तर प्रदेश एवं बिहार और नेपाल विदेश से भी भारी संख्या में श्रध्दालु आते हैं. जो इस समय बांसी नदी मृत अवस्था में होने के कारण उनके बीच मायूसी छाया हुआ है.
बगहा. बिहार में एक और नदी के वजूद पर संकट मंडरा रहा है. नदी धीरे-धीरे मर रही है. उसका वजूद मिटता जा रहा है. चंपारण जिले से होकर बहनेवाली अस बांसी नदी में कभी डूबकी लगाने उत्तर प्रदेश व नेपाल से लाखों श्रद्धालु आते थे. आज इनकी संख्या काफी कम हो गयी है, जो आते हैं उन्हें भी समुचित नदी धारा नहीं मिल पाती है. बांसी नदी उत्तर प्रदेश और बिहार के चंपारण जिला अंतर्गत मधुबनी भितहां पिपरासी प्रखंड होते हुए ठकराहां को जोड़ती है. मधुबनी प्रखंड क्षेत्र के बांसी घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने हेतु उत्तर प्रदेश एवं बिहार और नेपाल विदेश से भी भारी संख्या में श्रध्दालु आते हैं. जो इस समय बांसी नदी मृत अवस्था में होने के कारण उनके बीच मायूसी छाया हुआ है. आज से दशकों पहले मठिया माइनर नहर का पानी इस बांसी नदी में गिरता था, लेकिन उस समय बांसी नदी जीवित अवस्था में रहतीं थीं.
बरात के ठहराव के बाद हुआ गांव का नामकरण
बांसी नदी की मान्यता रामायण काल से जानने को मिलता है. ग्रंथों के अनुसार विवाह के उपरांत राम बांसी नदी के किनारे माता जानकी के साथ रात्रि विश्राम किया था. ग्रंथों के आधार पर ही बांसी के आस पास के गांव का नाम भी है. घोडहवां, सिंघापटी, जानकी नगर, रामघाट, गोबरहिया, कठार, यह नाम बरात के ठहराव के कारण ठहरने वाले संसाधन के मुताबिक रखा गया है, लेकिन आज भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा राम मंदिर का निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन रखा गया है. जनवरी 2024 में भगवान राम के विश्राम स्थली को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. प्रमुख प्रतिनिधि विजय सिंह चंदेल ने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है.
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बोली प्रखंड प्रममुख
मधुबनी प्रमुख पद पर 2021 दिसंबर में मेरे द्वारा पद ग्रहण किया गया. जिसके बाद से ही बांसी नदी जीर्णोद्धार की मांग जिला पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, बगहा प्रभारी मंत्री चम्पारण, जिला परिषद अध्यक्ष के समक्ष जिला अनुश्रवण समिति (दिशा) की बैठक में लिखित आवेदन पत्र दे कर सफाई हेतु आग्रह किया गया है, लेकिन सरकार चलाने और बचाने के चक्कर में बिहार सरकार द्वारा धार्मिक कार्यों में रुचि नहीं रखी जा रही है. वहीं ग्रामीण रामाशंकर दास, प्रहलाद दास, रंगलाल पासवान, अर्जुन दास,राम बालक दास, साधु गोंड हरेंद्र गुप्ता,तपन शुक्ला, राजेन्द्र मिश्र, सुरेन्द्र गुप्ता भी इस मामले में मांग प्रशासन ने किया है.
बोले डीएम पं चंपारण
डीएम दिनेश कुमार राय ने बताया कि बांसी नदी मृत पड़ी हुई है, इस बात की जानकारी नहीं थी. इस मामले में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के डीएम से बात कर हल निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि ये दो राज्यों का मामला है. हम इस नदी को बचाने का सभी जरुरी प्रयास करेंगे.
विधायक पडरौना
स्थानीय विधायक मनीष जायसवाल ने बताया कि नहर में नेपाल से पानी आता है. 15 जनवरी 2024 के पहले पानी नहर में नहीं जा पाएगी. फिर भी बांसी नदी घाट का साफ- सफाई कराया जाएगा, ताकि वहां लोग श्रद्धालु भक्त आस्था की डूबकी लगा सके और अगले वित्तीय वर्ष में हमेशा के लिए नदी में माइनर से जोड़ने की व्यवस्था की जाएगी.
बोले ब्लाक प्रमुख
उत्तर प्रदेश कुशीनगर जिले के ब्लाक प्रमुख विशुनपुरा विंध्यवासिनी श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व डीएम कुशीनगर जिला रमेश रंजन द्वारा 14 घाटों की जलकुंभी की साफ-सफाई कराई गई थी. इतना ही पूर्व डीएम ने स्वयं बांसी नदी में उतरकर कर अन्य अधिकारियों के साथ साफ सफाई की थी. इस बार भी बांसी नदी की साफ सफाई कराई जाएगी. इसके लिए व्यवस्था की जा रही है और वर्तमान डीएम कुशीनगर भी इसको देख-देख करने में लगे हुए हैं.
बोले ग्राम प्रधान
प्रधान संघ जिला महामंत्री उत्तर प्रदेश जिला कुशीनगर गंभीरिया बुजुर्ग बब्लू कुशवाहा ने बताया कि बांसी नदी के बगल से ही एक नहर निकल रही है. जिसकी खुदाई हो चुकी है. उसको नहर में पानी आते ही बांसी नदी से जोड़ दिया जाएगा. डीएम कुशीनगर को भी इस मामले में पत्र भेजा गया है.