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रोहतास में पकड़े गए डेढ़ क्विंटल वजनी घड़ियाल को गंडक नदी में छोड़ा गया, लोगों ने ली राहत की सांस

रोहतास में वन विभाग की टीम के लिए सिरदर्द बने घड़ियाल का रेस्क्यू कर वन विभाग की टीम ने बगहा के गंडक नदी में छोड़ दिया है. घड़ियाल इतना बड़ा था कि उसे काबू कर गंडक नदी में छोड़ने के लिए दस लोगों की टीम बनाई गई थी.

रोहतास से पकड़े गए 17 फीट के घड़ियाल को वन विभाग की टीम ने शनिवार को गंडक नदी में छोड़ दिया. घड़ियाल को बीते बुधवार को नासिर गंज स्थित आरा कैनाल से रेसक्यू किया गया था. घड़ियाल इतना बड़ा था कि उसे काबू कर गंडक नदी में छोड़ने के लिए दस लोगों की टीम बनाई गई थी.

दस दिनों तक चला रेस्क्यू अभियान

बता दें कि डेहरी इलाके के सोन नहर में करीब दस दिनों पहले लोगों ने घड़ियाल को देखा था. इसके बाद से ही वन विभाग की टीम उसे तलाश रही थी. आखिरकार 10 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने घड़ियाल को पकड़ने में सफलता हासिल की थी. जिसे शनिवार को गंडक नदी में सुरक्षित तरीके से छोड़ दिया गया. इसके बाद वन विभाग के साथ-साथ आम लोगों ने भी राहत की सांस ली है.

लगभग डेढ़ क्विंटल का था घड़ियाल

बता दें कि सोन नहर में मिले घड़ियाल का वजन लगभग डेढ़ क्विंटल था. बीते 22 अगस्त को जब लोगों ने इस घड़ियाल को देखा था तभी इसके भयावह होने की बात कही जा रही थी. यही कारण रहा कि वन विभाग की टीम लगातार रेस्क्यू अभियान चला रही थी. आखिरकार बुधवार को सफलता हाथ लगी. सोन कैनाल नहर में मथुरी पुल के पास लगभग 12 फीट लंबा घड़ियाल देखे जाने की बात सही साबित हुई. आखिरकार रेस्क्यू कर कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ लिया गया था.

आरा कैनाल बड़े घड़ियाल के लिए उपयुक्त नहीं

मामले को लेकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बेतिया डिवीजन के बगहा के वन पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि रोहतास के नासिर गंज स्थित आरा कैनाल से घड़ियाल को रेस्क्यू किया गया था. जिसकी लंबाई 17 फीट है. उन्होंने बताया कि आरा कैनाल बड़े घड़ियाल के लिए उपयुक्त नहीं है. जिसे देखते हुए रोहतास से बेतिया डिवीजन को घड़ियाल सौंपा गया. बेतिया डिवीजन से वरिया पदाधिकारियों के देखरेख में घड़ियाल का स्वास्थ्य जांच करा कर धनहा स्थित गौतम बुद्ध सेतु पुल के पास घड़ियाल को छोड़ दिया गया है.

घड़ियाल के पूछ पर लगाया गया डिवाइस

बगहा के वन पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि घड़ियाल को नेचुरल हैबिटेट में संरक्षित किया जाता है, वहां इस तरह डिवाइस लगाए जाते हैं. इससे घड़ियालों की गिनती में आसानी होती है. इसके साथ ही घड़ियाल की सारी गतिविधियों पर भी नजर रखा जाता है. इस डिवाइस के माध्यम से घड़ियाल के क्रिया पर अध्ययन भी किया जाता है.

वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक 250 घड़ियाल

जानकारी के मुताबिक गंडक नदी में घड़ियालों की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR ) प्रशासन ने 2018 में सर्वेक्षण कराया था. इसमें वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक के 320 किलोमीटर में 250 घड़ियाल पाए गए थे. 2021 तक घड़ियालों की संख्या बढ़कर 350 के करीब पहुंच गई थी.

नहर में न जाएं लोग

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि घड़ियालों इस मौसम में घड़ियाल थोड़ा ज्यादा चहलकदमी करते हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि नहर में नहीं जाएं. नहर के आसपास रहनेवालों को भी वन विभाग ने सचेत किया है. वन विभाग का कहना है कि घड़ियाल नदी के रास्ते ही नहर में आया है. यह मगरमच्छ संरक्षित श्रेणी का प्राणी है, इसलिए उसे नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास नहीं करेंगे. यदि किसी को यह मगरमच्छ दिखे तो वन विभाग के मोबाइल नंबर 6207262961 पर सूचना दें.

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