पहले भागलपुर में गंगा के घाटों पर घड़ियाल दिखा करते थे, लेकिन पिछले करीब एक महीने से मगरमच्छ देखा जाने लगा है. मगरमच्छ कभी सुलतानगंज के घाटों पर, तो कभी गोपालपुर के समीप गंगा किनारे देखा गया है. बिहार में कई जिलों में ये देखे गये. कुछ जगहों पर यह हमलावर भी हो गया है. इस पर विशेषज्ञों की राय जानें…
विशेषज्ञों का कहना था कि बारिश से नदियों के आपस में मिल जाने व तेज बहाव में मगरमच्छ के आने की संभावना है. मगरमच्छ सबसे अधिक चंबल नदी में पाये जाते हैं. लिहाजा इस बात की पूरी संभावना है कि यह चंबल से ही आया हो. हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भागलपुर में गंगा में इसकी कितनी संख्या है.
वन विभाग के पास मगरमच्छ को पकड़ने के तमाम साधन उपलब्ध हैं. जानकारी के अनुसार नायलोन के मोटे धागे से बना जाल, टेंक्यूलाइजर गन, दवा और इंजेक्शन के साथ रेस्क्यू टीम भी है, लेकिन जलीय जीव को पकड़ना उचित नहीं है. मगरमच्छ लुप्तप्राय प्राणी है. इस कारण उसे पकड़ने के लिए मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक से अनुमति लेना जरूरी है. इसके बाद अगर एक पकड़ भी लिया जाये, तो यह जरूरी नहीं कि दूसरा या तीसरा नहीं हो. खास बात यह कि इसकी दुनिया जल ही है.
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सुलतानगंज में घाट किनारे मगरमच्छ दिखने और स्नान कर रहे एक व्यक्ति पर हमला होने के कारण लोग भयभीत हैं. पिछले दिनों गंगा स्नान के दौरान एक युवक का पैर मगरमच्छ ने काट दिया था. गंगा के तट पर रहनेवाले लोग परेशान हैं. दरअसल जिले में गंगा पर सब आश्रित हैं, तो दूसरी ओर सुलतानगंज, भागलपुर व बटेश्वर स्थान में बिना गंगा स्नान के कोई धर्म-कर्म संभव नहीं इससे भी परेशान हैं लोग.
गंगा में मगरमच्छ रहते ही हैं. यह मांसाहारी होते हैं. हाल में गंडक में कुछ मगरमच्छ को छोड़ा गया था. उससे गंगा में आने का अनुमान है. चंबल नदी से भी आ सकते हैं. यह सीजन मछलियों की ब्रीडिंग का होता है. ब्रिडिंग के लिए मछलियां किनारे पर रहती हैं. उसे खाने मगरमच्छ आ जाता है. मछली अगर कम मिली, तो जो मिलता है उस पर हमला कर देता है.
-प्रो फारुक अली, कुलपति, जयप्रकाश विवि छपरा
Published By: Thakur Shaktilochan