अदालतों में 4.8 करोड़ मुकदमे लंबित, बोले- किरेन रिजिजू विधायिका व न्यायपालिका करें एक-दूसरे का सम्मान

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देशभर में विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर की है. न्यायपालिका और सरकारों को इस पर गौर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका राष्ट्र के हित में काम कर रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 25, 2022 7:11 AM

पटना. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देशभर में विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए वैकल्पिक विवाद निबटारा प्रणाली अपनाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि देश की अदालतों में करीब चार करोड़ 80 लाख मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं. कभी-कभी तो 10-15 साल तक मुकदमे लंबित रहते हैं. न्यायपालिका और सरकारों को इस पर गौर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका राष्ट्र के हित में काम कर रही हैं. तीनों स्तंभों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. केंद्रीय कानून मंत्री शनिवार को बापू सभागार में ‘समाज निर्माण में वकीलों की भूमिका और योगदान’ विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

ज्यादा-से-ज्यादा लोक अदालतों को प्रोत्साहन मिले

इसका आयोजन बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बिहार राज्य बार काउंसिल ने संयुक्त रूप से किया था. अदालतों में मुकदमों के वर्षों तक लंबित रहने से आम जनता का विश्वास अदालतों से डगमगाने लगता है. इसके लिए वकीलों को भी ध्यान देना होगा. किरेन रिजिजू ने कहा कि जब वह विधि मंत्री बने थे, तो देश भर में 4.25 करोड़ मामले लंबित थे. कोरोना काल में इनकी संख्या बढ़ कर 4.80 करोड़ हो गयी है. उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के इस युग में हाइकोर्ट और वकीलों के सहयोग से अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. राष्ट्रीय कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण ज्यादा-से-ज्यादा लोक अदालतों को प्रोत्साहन देकर इस समस्या से छुटकारा पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

आधे से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट खाली

रिजिजू ने मुकदमों के त्वरित निबटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भी काफी कमी रह गयी है. आधे से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट खाली पड़े हुए हैं. जरूरत के हिसाब से देश में पॉक्सो कोर्ट भी अभी नहीं बन पाये हैं. लगभग नौ हजार करोड़ रुपए निचली अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के लिए दिये गये, लेकिन उस राशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया, यह अफसोस की बात है. देश में 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किये जाने हैं और हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस ओर देखना चाहिए.

जस्टिस डिलीवरी सिस्टम को मजबूत करना होगा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्तियू यू ललित की मौजूदगी में केंद्रीय विधि मंत्री ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक टीम की तरह देश के कल्याण के लिए काम करना होगा. न्यायपालिका को यह देखना होगा कि जस्टिस डिलीवरी सिस्टम कैसे मजबूत हो. इसके लिए मैकेनिज्म को बढ़ाना होगा. केवल जजों की संख्या बढ़ाने से काम नहीं चलेगा. वर्तमान में जितने भी जज हैं, उन्हें मुकदमों के निस्तारण पर ध्यान देना होगा.

वकील रूल ऑफ लॉ को बनाये रखें

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) उदय उमेश ललित ने सेमिनार में अधिवक्ताओं को उनकी शक्ति और संवैधानिक कर्तव्यों की याद दिलायी. उन्होंने कहा कि वकीलों को सोच में तर्कसंगत और स्वभाव से तथ्यान्वेषी होना चाहिए. वकीलों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका उद्देश्य और आदर्श वाक्य रूल ऑफ लॉ को बनाये रखना हो. उनमें आम आदमी के मुद्दे उठाने की ताकत है. सीजेआइ ने कहा कि युवा वकीलों को उन जानेमाने स्वतंत्रता सेनानियों में निहित गुणों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो वकील थे.

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