बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में लगेंगे क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक, खत्म होगी ट्रांसपोर्टेशन और स्टोर की झंझट

राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत अभी भी बनी हुई है. सूचना के अनुसार कुछ अस्पताल अभी भी मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर डिस्चार्ज कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र की ओर से बिहार के लिए 194 मीटरिक टन का कोटा निर्धारित करने के बाद भी पूरी क्षमता से ऑक्सीजन की आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2021 12:34 PM

पटना . राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत अभी भी बनी हुई है. सूचना के अनुसार कुछ अस्पताल अभी भी मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर डिस्चार्ज कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र की ओर से बिहार के लिए 194 मीटरिक टन का कोटा निर्धारित करने के बाद भी पूरी क्षमता से ऑक्सीजन की आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है.

स्वास्थ्य विभाग ने स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में 20 केएल के क्रायोजैनिक ऑक्सीजन टैंक लगाने का निर्णय लिया है. जानकारी के अनुसार वर्तमान में पटना एम्स में 30 केएल, पारस अस्पताल में 20 केएल, इसआइसी अस्पताल में 10 केएल और एसकेएमसीएच अस्पताल में 10 केएल क्षमता वाले क्रायोजैनिक ऑक्सीजन टैंक की लगे हुए हैं.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में केवल एसकेएमसीएच में 20 प्लस 20 क्षमता वाले क्रायोजैनिक ऑक्सीजन टैंक लगाये जाने हैं. हालांकि विभाग की मानें, तो इसमें तीन माह का समय लग सकता है.

ऑक्सीजन स्टोरेज की क्षमता कम

भले ही केंद्र की ओर से राज्य के लिए 194 एमटी ऑक्सीजन का कोटा निर्धारित किया है यानी बिहार कंपनियों से अधिकतम इतने ऑक्सीजन एक दिन में ले सकता है. मगर, राज्य में ऑक्सीजन के ट्रांसर्पोटेशन व स्टाेरेज क्षमता कम होने के कारण अधिकतम क्षमता से ऑक्सीजन की सप्लाई राज्य में नहीं हो पा रही है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि कोटा निर्धारित होने के बाद बिहार में एक दिन में 90 एमटी ऑक्सीजन की सप्लाई हुई है. वर्तमान में कोविड के मरीजों की संख्या के अनुसार 70 से 75 एमटी की जरूरत है. वहीं, अन्य मरीजों के लिए भी ऑक्सीजन की जरूरत होती है.

जानकारी के अनुसार राज्य में अभी 14 ऑक्सीजन प्लांट हैं. इनमें 32 एमटी उत्पादन और 72 एमटी स्टोरेज की क्षमता है. वहीं, सरकारी 10 ऑक्सीजन टैंकर उपलब्ध हैं और चार और टैंकर केंद्र ने बिहार को दिया है.

Posted by Ashish Jha

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