Bhagalpur : सीटी स्कैन व एमआरआइ जांच अब तक शुरू नहीं, मरीज परेशान
Bhagalpur : मायागंज अस्पताल में संचालित सीटी स्कैन व एमआरआइ सेंटर गुरुवार को भी बंद रहा.
मायागंज अस्पताल में संचालित सीटी स्कैन व एमआरआइ सेंटर गुरुवार को भी बंद रहा. बीते एक सप्ताह से एमआरआइ जांच व 15 दिनों से सीटी स्कैन जांच बंद है. इस कारण रोजाना 10 से 15 मरीजों की सीटी स्कैन जांच नहीं हो रही है. वहीं आधा दर्जन मरीज एमआरआइ जांच नहीं करा पा रहे हैं. मरीजों को मजबूरीवश एमआरआइ जांच कराने के लिए प्राइवेट सेंटर जाना पड़ रहा है. वहीं सीटी स्कैन जांच के लिए सदर अस्पताल या निजी सेंटर जा रहे. खासकर एक्सीडेंट, न्यूरो, पेट, हड्डी समेत अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज परेशान हो रहे हैं.
हीलियम गैस का सिलिंडर नहीं पहुंचा- डॉ सचिन
रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ सचिन ने बताया कि एमआरआइ मशीन में लगने वाला हीलियम गैस का सिलिंडर अब तक मायागंज अस्पताल नहीं पहुंचा है. एमआरआइ सेंटर को चला रही निजी एजेंसी को जल्द व्यवस्था करने को कहा गया है. इसके अलावा सीटी स्कैन मशीन के अर्थिंग का ट्रायल गुरुवार को भी चलता रहा. सरकार द्वारा नियुक्त मेंटेनेंस एजेंसी के इंजीनियर पहले अर्थिंग के ट्रायल को पूरा करेंगे. इसके बाद सीटी स्कैन मशीन के ट्यूब को भी बदला जायेगा. सीटी स्कैन जांच को जल्द शुरू किया जा सकता है. जबकि एमआरआइ जांच के लिए मरीजों को इस सप्ताह इंतजार करना पड़ सकता है.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 41 मरीजों ने कराया इलाज
शहर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में गुरुवार को इलाज कराने 41 मरीज पहुंचे. इनमें से हृदय रोग से जुड़े 18 मरीजों ने कार्डियोलॉजी विभाग में इलाज कराया. वहीं नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी की बीमारी से जुड़े तीन मरीजों ने इलाज कराया. इसके अलावा न्यूरोलाॅजी विभाग में भी 18 मरीजों का इलाज हुआ. प्लास्टिक सर्जरी विभाग में इलाज कराने दो मरीज आये. अस्पताल प्रबंधक सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन मरीजों की संख्या कम रही. कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि ठंड के मौसम में दिल से जुड़ी बीमारियों में इजाफा होता है. नवंबर से दिल के मरीज बढ़ सकते हैं. हार्ट डिजीज को लेकर लोग सतर्क रहें.
40 जूनियर रेजीडेंट्स का कार्यकाल पूरा
मायागंज अस्पताल में ड्यूटी कर रहे 40 से अधिक जूनियर रेजीडेंट्स (जेआर) के तीन वर्ष का कार्यकाल नौ अक्तूबर को पूरा हो जायेगा. मरीजों के इलाज में जेआर की मुख्य भूमिका है. सिर्फ आइसीयू में ही तीन पालियों में आठ जेआर की ड्यूटी लगायी गयी है. वहीं शिशु, सर्जरी, मेडिसिन समेत अन्य विभागों में यह कार्यरत हैं. इनके कार्यकाल के बाद अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था कुछ प्रभावित हो सकती है. मामले पर अस्पताल अधीक्षक डॉ केके सिन्हा ने बताया कि इसकी लिखित जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जायेगी. वहां से मिले निर्देश के आधार पर कार्यवाही की जायेगी.
इधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राकेश कुमार ने बताया कि जूनियर रेजीडेंट्स का कार्यकाल पूरा होने वाला है. वहीं सीनियर रेजीडेंट्स के कार्यकाल को राज्य सरकार ने अगले आदेश तक बढ़ा दिया है. विभाग की ओर से सीनियर रेजीडेंट्स की बहाली प्रक्रिया जारी है. बहाली पूरा होने तक एक्सटेंशन दिया गया है. इधर, जानकारों का मानना है कि कि वैकल्पिक व्यवस्था होने तक जेआर का भी कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है.