18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

NAAC में A++ ग्रेड लाकर CUSB ने रचा इतिहास, ऐसा करने वाला बिहार का पहला विश्वविद्यालय बना

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में वर्ष 2013 में हुई थी. महज एक दशक पुराने इस विश्वविद्यालय ने नैक से ‘ए प्लस प्लस ’ ग्रेड प्राप्त कर इतिहास दर्ज किया है .

गया. पिछले एक दशक से भी अधिक समय से शैक्षणिक उत्कृष्टता व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले बिहार के प्रथम प्रतिष्ठित सेंट्रल यूनिवर्सिटी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी), गया ने अपने नाम अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए 3.58 ग्रेड पॉइंट के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद् (नैक) से ‘ए प्लस प्लस ’ ग्रेड प्राप्त किया है . पीआरओ मो मुदस्सीर आलम ने बताया कि सीयूएसबी ‘ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त कर देश के चुनिंदा राष्ट्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है. उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के साथ सीयूएसबी नैक प्रदत्त ‘ए प्लस प्लस ’ की श्रेणी प्राप्त करने वाला बिहार का पहला विश्वविद्यालय भी बन गया है .

17 से 19 मई के बीच टीम ने विवि का किया था निरीक्षण

गौरतलब हो की सीयूएसबी ने वर्ष 2016 में नैक द्वारा मूल्यांकन व प्रमाणन के प्रथम चरण में ‘ए प्लस प्लस’ ग्रेड प्राप्त किया था. इसके बाद पांच वर्ष पूरा होने पर पुनः विश्वविद्यालय ने 2022 में कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के नेतृत्व व मार्गदर्शन में नैक मूल्यांकन और प्रमाणन के द्वितीय चरण के लिए आवेदन किया था. कई महीनों तक चले बहुस्तरीय मूल्यांकन व पिछले महीने 17 से 19 मई के बीच नैक टीम के विश्वविद्यालय परिसर व संसाधनों के भौतिक निरीक्षण के बाद नैक ने विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस की उच्चतम श्रेणी प्रदान किया है. इस उपलब्धि को प्राप्त कर विश्वविद्यालय देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल हो गया है.

वीसी ने शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों को दिया श्रेय

इस विशिष्ट व ऐतिहासिक अवसर पर कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने अपनी हार्दिक प्रसन्नता और संतोष व्यक्त करते हुए सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों व अधिकारियों को दिया है. कुलपति ने इस उत्कृष्ट उपलब्धि को विश्वविद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयासों का प्रतिफल बताते हुए इसे सामूहिक संकल्प से विशिष्ट उपलब्धि का बेमिसाल उदाहरण बताया. साथ ही, कुलपति ने इस उपलब्धि के साथ भविष्य में आने वाले राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की ओर भी संकेत करते हुए कहा कि अब विश्वविद्यालय की जिम्मेवारी बढ़ गयी है. उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार से आह्वान करते हुए कहा कि हमें और संकल्पित व उर्जान्वित होते हुए शिक्षा एवं अनुसंधान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करते रहना है. कुलपति ने यह आशा व्यक्त की है कि विश्वविद्यालय सामूहिक प्रयास से न केवल नालंदा और विक्रमशिला के प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने में कामयाब होगा, बल्कि वैश्विक रैंकिंग में भी अपना स्थान बनायेगा.

Also Read: बिहार में 31 नगर निकायों के 805 पदों के नतीजे घोषित, ज्यादातर नए चेहरे जीते, मधुबनी को मिला पहला मेयर
2013 में किराये के मकान में शुरू हुआ था सीयूएसबी का पठन-पाठन

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी. विश्वविद्यालय ने अपनी अकादमिक यात्रा की शुरुआत पहले पटना और बाद में वर्ष 2013 में गया में भाड़े पर लिए गये मकानों के साथ की थी. विश्वविद्यालय को अपना अत्याधुनिक स्थायी परिसर 2018 में गया के पंचानपुर के निकट प्राप्त हुआ. वर्तमान में विश्वविद्यालय अपने विश्वस्तरीय परिसर में 11 अकादमिक पीठों व 25 अकादमिक विभागों के साथ सुचारू रूप से कार्यरत है. फिलहाल यहां 180 उच्चकोटि के शिक्षक देश के दूर दराज क्षेत्रों से व विदेशों से आये हुए लगभग 3000 छात्र -छात्राओं को विश्वस्तरीय शिक्षण- प्रशिक्षण व विभिन्न अनुशासनों में अत्याधुनिक अनुसंधान प्रदान कर रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें