सुमित कुमार, पटना: बिहार में साइबर अपराधियों का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है. एक-डेढ़ वर्ष पहले तक दक्षिण बिहार के पांच जिलों नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जमुई और गया को ही हॉट स्पॉट माना जाता था. लेकिन, अब उत्तर बिहार के जिलों मुजफ्फरपुर, मधुबनी, मोतिहारी और बेतिया से भी बड़ी संख्या में साइबर फ्रॉड के केस मिलने लगे हैं.
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) अब इन चारों जिलों में सक्रिय गैंग की पहचान करने में जुटी है. पुलिस का मानना है कि साइबर अपराधी संगठित होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और टेक्निकल एक्सपर्ट युवाओं को गैंग से जोड़ने में लगे हैं. कम समय में अधिक पैसे कमाने का लालच रखने वाले युवा इनमें फंस रहे हैं. ज्यादातर मामलों में अपराधी 20-30 आयु वर्ग के कॉलेज छोड़ने वाले छात्र हैं.
इओयू के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2023 से लेकर अब तक साइबर क्राइम के मामलों में एक हजार से अधिक कांड दर्ज हुए हैं. इनमें 46 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया. दर्ज कांडों में से वित्तीय फ्रॉड के मामलों में शिकायतकर्ताओं की 15 करोड़ रुपये की राशि अपराधियों द्वारा ट्रांसफर किये गये खाते में होल्ड करा ली गयी है. इसमें से करीब एक करोड़ रुपये ही पीड़ित को वापस लौट सके हैं. अन्य मामलों में कोर्ट से अनुमति के बाद ही राशि पीड़ित को लौटायी जा सकती है. बिहार में 2021 में 1560 जबकि 2022 में कुल 2400 साइबर अपराध के कांड दर्जकिये थे. बिहार के साइबर अपराधी अब न केवल अपने राज्य बल्कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और यूपी जैसे अन्य राज्यों के लोगों को भी निशाना बना रहे हैं.
इओयू अधिकारियों का कहना है कि बिहार के साइबर अपराधी जामताड़ा मॉड्यूल से प्रभावित हैं. यही वजह है कि झारखंड से सटे बिहार के कई जिले साइबर हॉटस्पॉट बने हैं. गिरफ्तार कई साइबर अपराधियों ने भी कबूल किया है कि उन्होंने अपराधों को अंजाम देने के लिए जामताड़ा मॉड्यूल की नकल की है.
नोडल एजेंसी के रूप में साइबर अपराधियों की नकेल कसने के लिए इओयू ने भी सभी 40 पुलिस और चार रेलवे जिलों पटना, मुजफ्फरपुर, कटिहार और समस्तीपुर में साइबर थाना खोल दिया है. इसके अतिरिक्त 30 साइबर क्राइम एवं सोशल मीडिया यूनिट भी कार्यरत हैं. पीड़ित शिकायत दर्जकरने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते हैं. 30 लीज लाइन से सुसज्जित इस हेल्पलाइन नंबर हर दिन करीब 1500 कॉल आते हैं. तीन शिफ्ट में करीब 150 पुलिसकर्मी हेल्पलाइन पर मिलने वाली शिकायतों को दर्जकर उसे संबंधित पुलिस स्टेशनों को स्थानांतरित कर देते हैं. प्रत्येक साइबर पुलिस स्टेशन का नेतृत्व डीएसपी रैंक का एक अधिकारी करता है.
इओयू अधिकारियों के मुताबिक साइबर अपराध के मामलों में डिजिटल एविडेंस (सबूत) जमा कराना बड़ी चुनौती होती है. खास कर विलंब से सूचना मिलने पर अपराधियों को बच निकलने का मौका मिल जाता है. इससे निबटने के लिए करीब 2.30 करोड़ की लागत से पटना में सेंट्रल साइबर क्राइम एंड फॉरेंसिक लेबोरेट्री भी बनायी गयी है. यहां पर इनसे जुड़े सरकारी कर्मियों को साइबर के हार्डवेयरसॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग दिलायी जाती है. अब तक 651 थानाध्यक्ष सहित 201 न्यायिक पदाधिकारीव 190 पब्लिक प्रोसेक्यूटरों को इसमें प्रशिक्षण दिलाया गया है.
इधर, पटना में एक और घटना को शातिरों ने अंजाम दिया है. कदमकुआं की बाबा भीखमदास ठाकुरबाड़ी के महंत जय नारायण दास के खाते से बदमाशों ने 3.10 लाख रुपये की निकासी कर ली है. इसके बाद उन्होंने कदमकुआं थाने में अज्ञात के खिलाफ में प्राथमिकी दर्ज करा दी है. बताया जाता है कि उनके एटीएम कार्ड को लेकर उनका लेखापाल जितेंद्र कुमार रुपये निकालने के लिए कदमकुआं की एक एटीएम में गया था. इस दौरान उसने 10 हजार रुपये निकाले और फिर से 10 हजार निकालने के कार्ड को डाला. लेकिन एटीएम कार्ड फंस गया. इसके बाद एटीएम के अंदर ही लिखे गार्ड के नंबर पर संपर्क किया, तो उधर से बताया गया कि वह नाला रोड की एटीएम चले जाएं और वहां से गार्ड को बुला कर ले आएं. वह एटीएम कार्ड निकाल देगा. इसके बाद वह वहां से बगल की एटीएम में रहे गार्ड को बुलाने के लिए चले गये और महज 10 मिनट में ही खाते से 16 बार में 3.10 लाख रुपये की निकासी हो गयी. जब लेखापाल उस एटीएम पर लौटा, तो कार्ड भी गायब था. इधर, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है. फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है.
लोन देने के नाम पर कंकड़बाग की पीसी कॉलोनी के रहने वाले कारोबारी ऋतुराज सिंह के खाते से शातिर ने 1.5 लाख रुपये निकाल लिये़ उन्हें एक अंजान नंबर से कॉल आया और 20 लाख रुपये लोन देने की जानकारी दी़ उसने अपने आप को एक निजी बैंक का मैनेजर बताया. पीड़ित कारोबारी ने बताया कि मेरे खाते और निवास की सारी जानकारी बतायी. इससे मुझे यकीन हो गया. उसके वाट्सएप पर जरूरी कागजात भेज दिये. ओटीपी बताते ही खाते से तीन बार में 1.5 लाख की निकासी हो गयी.
Published By: Thakur Shaktilochan