टाटा एआइजी जनरल इंश्योरेंस व अन्य कंपनियों की जाली बीमा पॉलिसी जारी कर 3.12 करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला प्रकाश में आया है. इस संबंध में टाटा एआइजी कंपनी के रीजनल सेल्स मैनेजर शशि शेखर सहोदय के बयान पर साइबर थाने में एक वेबसाइट के धारक के खिलाफ में केस दर्जकिया गया है. मामला एसएसपी के निर्देश पर दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है.
एक कंपनी के पोर्टल का उपयोग कर जारी की गयी पॉलिसी
रीजनल मैनेजर ने शिकायत में पुलिस को बताया है कि कुछ लोगों ने आदित्य बिड़ला इंश्योरेंस ब्रोकर्सलिमिटेड के ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर कई जाली बीमा पॉलिसी जारी की है. यह कंपनी ग्राहकों को ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगइन करने और वाहनों के मेक और मॉडल, पंजीकरण संख्या, चेचिस नंबर, इंजन नंबर, पिछली बीमा पॉलिसी विवरण आदि जैसे विवरण भरकर बीमा पॉलिसी प्राप्त करने की सुविधा देती है.
मैनेजर की शिकायत पर साइबर थाने में केस, 6243 पॉलिसी में गड़बड़ी
टाटा एआइजी कंपनी के रीजनल सेल्स मैनेजर ने बताया कि जांच में पाया गया है कि इस कंपनी के पोर्टल का उपयोग कर 6243 बीमा पॉलिसी जारी की गयी. इसमें वाहन की श्रेणी (मेक व मॉडल) को दोपहिया वाहन के रूप में भरा गया. जबकि वास्तव में ये व्यावसायिक, चार पहिया व भारी वाहन थे. उन्होंने पुलिस को जानकारी दी है कि वाहन का बीमा प्रीमियम श्रेणी पर निर्भर करता है. मसलन दोपहिया वाहन होगा तो उसका प्रीमियम चार पहिया व भारी वाहनों की अपेक्षा कम होगा. इसलिए इन लोगों ने बड़े वाहनों को दो पहिया बता कर बीमा पॉलिसी जारी कर दी. इनकी मंशा यह थी कि वे दोपहिया वाहन की बीमा पॉलिसी की राशि देकर चार पहिया या भारी वाहनों के लिए बीमा कवर प्राप्त करें. इसमें कंपनी को गलत नुकसान हो और खुद को लाभ हो.
गिरोह की करतूत की आशंका
रीजनल मैनेजर ने यह आशंका जतायी है कि यह किसी गिरोह की करतूत है. क्योंकि कई बीमा पॉलिसियों को प्राप्त करने के लिए पैन, यूपीआइ आइडी, इमेल आइडी और मोबाइल नंबर का उपयोग किया गया है. इसके बिना बीमा पॉलिसी भी नहीं हो सकती है. साथ ही आइपी एड्रेस निकालने से यह जानकारी मिली है कि सबसे अधिक 1995 बीमा पॉलिसी बिहार से जारी की गयी है.
पूरे देश में हो रहा खेल
जाली बीमा पॉलिसी के जारी किये जाने का खेल पूरे देश में हो रहा है. इसके पीछे एक बड़ा संगठित गिरोह है और बीमा कंपनियों को करोड़ों का चूना लगा चुका है. रीजनल मैनेजर के अनुसार इन लोगों की धोखाधड़ीव जालसाजी के कारण तीन करोड़ 12 लाख 23 हजार 316 रुपये की वित्तीय हानि हुई है. इन लोगों ने ग्राहकों को भी चूना लगाया है. इधर, एक कंपनी को तीन करोड़ से अधिक की चपत लगाने का मामला फिलहाल प्रकाश में आया है. ठीक से जांच की गयी तो दस करोड़ से अधिक का जालसाजों ने कंपनी को नुकसान पहुंचा दिया है.