अफसरों पर नहीं दिख रहा बिहार सरकार के निर्देश का असर, दाखिल खारिज के मामलों के समाधान की गति अब भी धीमी

बिहार में 31 मई तक दाखिल खारिज के कुल एक करोड़ छह लाख 71 हजार 448 मामले आये. इसमें से 58 लाख 45 हजार 269 मामलों में दाखिल खारिज हो गया. सात लाख 73 हजार 749 मामले लंबित हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 2, 2023 3:59 AM

कृष्ण कुमार, पटना. बिहार में सरकार की लगातार निगरानी और निर्देशों के बावजूद दाखिल खारिज मामलों के समाधान की गति धीमी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 31 मई के आंकड़ों के अनुसार मुजफ्फरपुर के मुसहरी अंचल में दाखिल खारिज के करीब 10 हजार 233 मामले लंबित पाये गये हैं. इसमें करीब 4048 मामलों पर आपत्ति लगायी गयी है और ये करीब 60 दिन से अधिक समय से लंबित हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर सीतामढ़ी के डुमरा अंचल में दाखिल खारिज के करीब 10 हजार 55 मामले लंबित हैं. इसमें से करीब 3301 मामलों पर आपत्ति लगायी गयी और ये करीब 60 दिन से अधिक समय से लंबित हैं. वहीं, राज्य में दाखिल खारिज के सबसे अधिक 44 हजार 74 मामले डुमरा अंचल में ही निरस्त किये गये हैं.

पटना जिले में लंबित मामले 

सूत्रों के अनुसार पटना जिला के पटना सदर अंचल का हाल यह है कि यहां 31 मई तक दाखिल खारिज के करीब 8351 मामले लंबित थे. इसमें से करीब 3258 मामले आपत्ति लगाने के कारण करीब 60 दिन से अधिक समय से लंबित हैं. इस अंचल में करीब 34 हजार 245 दाखिल खारिज के मामले निरस्त किये गये हैं. वहीं, 31 मई को पटना जिले के फुलवारीशरीफ अंचल में दाखिल खारिज के करीब 7906 मामले लंबित थे. इसमें से करीब 3179 मामले आपत्ति लगाने के कारण करीब 60 दिन से अधिक समय से लंबित हैं. राज्य में दाखिल खारिज के सबसे कम 37 लंबित मामले बक्सर के चक्की अंचल में हैं. सबसे कम निरस्त किये गये 737 मामले गया के गुरुआ अंचल में हैं.

31 मई तक एक करोड़ मामले आये

31 मई तक दाखिल खारिज के कुल एक करोड़ छह लाख 71 हजार 448 मामले आये. इसमें से 58 लाख 45 हजार 269 मामलों में दाखिल खारिज हो गया. सात लाख 73 हजार 749 मामले लंबित हैं. 40 लाख 52 हजार 430 मामले खारिज (रिजेक्ट) कर दिये गये.

Also Read: ऑपरेशन दखल देहानी : पटना जिले में बेदखल पर्चाधारियों को जमीन पर मिलेगा दखल, डीएम ने दिया निर्देश
कार्रवाई का प्रावधान

विभागीय सूत्रों के अनुसार दाखिल खारिज के मामलों को बेवजह लटकाने का दोष सिद्ध होने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होती है. इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं. प्रत्येक महीने दाखिल खारिज मामलों की विभिन्न स्तर पर अलग-अलग रैंकिंग जारी होती है. इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है. वहीं खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों से इसका कारण भी पूछकर उन्हें चेतावनी दी जाती है. विभागीय स्तर पर लगातार सख्त मॉनीटरिंग हो रही है.

Next Article

Exit mobile version