छपरा. बिहार के सारण जिले के लोग पूरे उत्साह से मकर संक्रांति मनाने को तैयार है. जिले में संक्रांति के दिन अलग-अलग जगहों पर लगने वाले दही मेले और चक्की गुड़ से बनने वाला चूड़ा और फरुही की लाई इस त्योहार को हर साल उमंग से सराबोर कर देता है. इसके साथ ही नवविवाहित बेटियों की ससुराल खिचड़ी का कलेवा भेजने का चाव आज भी मायके के लोगों में देखने को मिल रहा है. छपरा में मकर संक्रांति के दिन सुबह सात बजे से ही शहर के मौना चौक का नजारा देखने लायक रहता है. गांव-देहात से माथे पर मटकी में दही लिए सैकड़ों ग्रामीण दही बेचने के लिए मौना चौक पर इकट्ठा होते है. एक कतार में सजी दही की इन दुकानों पर सुबह से ही भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है. दही बेचने आये लोगों और ग्राहकों की भीड़ देखकर यहां का नजारा किसी मेले से कम नहीं लगता है.
खिचड़ी सिर्फ एक पर्व ही नहीं, बल्कि बेटी की ससुराल और मायके के बीच के रिश्ते को प्रगाढ़ करने का एक श्रेष्ठ माध्यम है. सारण के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भले ही आधुनिकता का प्रभाव बढ़ा है. लेकिन आज भी खिचड़ी नजदीक आते ही घरों में चूड़ा की खुशबू परंपराओं की जीवंतता की सहज अनुभूति कराती है. शादी के बाद परायी हो गयी बेटिया हर साल मायके से खिचड़ी के पहले इस खास न्योते का इंतजार करती है. चूड़ा, कसार, तिलकुट, लाई भेज मायके वाले बेटी की ससुराल से रिश्तों में मिठास बढ़े, इसकी कामना करते है.
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कुछ बुजुर्ग व पतंगबाजी के कद्रदान पूर्व के वर्षों में प्रमुख स्थानों पर पतंगबाजी कराते है. शहर के राजेंद्र स्टेडियम में स्थानीय युवकों की टीम द्वारा पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है. बच्चों में पतंगबाजी का उत्साह को बरकरार रखने के लिए शहर के कई दुकानदारों ने इस साल भी डिजाइनर पतंग और स्वदेश में निर्मित धागों का स्टॉक उपलब्ध रखा है. शहर में पतंग के लिए बनायी गयी छोटे-छोटे दुकानों पर पांच रुपये से लेकर 250 रुपये तक के आकर्षक पतंग उपलब्ध है.
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