dakhil kharij status bihar : बिहार में आपसी दुश्मनी और हत्या का सबसे बड़ा कारण जमीनी विवाद बन रहा है. इसको देखते हुए सरकार ने दाखिल -खारिज मामले को निष्पादन के लिये ऑनलाइन प्रक्रिया और निर्धारित समय सीमा 21 दिन से 60 दिन तक की है. दाखिल-खारिज के आवेदन 21 दिनों में निष्पादन करना होता है. यदि दाखिल-खारिज के आवेदन में कोई शिकायत या दावा करता है तो भी 60 दिनों के अंदर उस मामले का निष्पादन करने का प्रावधान है.
बावजूद जिले के अंचल कर्मी की मनमानी नहीं थम रही है. चालू सत्र में कुल एक लाख 24 हजार 548 मामले दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन किये गये हैं, जिनमें निर्धारित समय सीमा के बाद भी 16 हजार 214 मामले लंबित है. दाखिल-खारिज के मामले सबसे अधिक हल्का कर्मी की मनमानी से अटके पड़े हैं. जिले के कुल 253 मौजा में से 65 मौजा के हल्का कर्मी भूमि म्यूटेशन रिपोर्ट सीई (अंचल निरीक्षक) के समक्ष प्रस्तुत तक नहीं किया है. इतना ही नहीं अधिकारियों के दवाब देने पर कर्मी बैगर कारण अंकित किये ही ऑनलाइन दाखिल खारिज के दावे को रिजेक्ट कर देते हैं.
कुल ऑनलाइन दाखिल खारिज आवेदन में 34.25 फीसदी यानि 34358 मामले को रिजेक्ट किये गये है. इनमें 5540 मामले बैगर कारण दर्शाये रिजेक्ट कर दी गये हैं. तीन दिन पूर्व अपर समाहर्ता ने सीओ के साथ दाखिल-खारिज को लेकर समीक्षा बैठक की थी, जिसमें दाखिल खारिज में पिछड़ने वाले सात सीओ को आगामी 20 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया था. 20 जनवरी तक लंबित मामले में सुधार नहीं होने पर उनके वेतन बंद करने तक की बात कहीं गई थी. बावजूद पांच से नौ जनवरी के बीच ऑनलाइन दाखिल खारिज आवेदन और निष्पादन के अनुपात में सुधार होता नहीं दिख रहा है.
Posted By : Avinish kumar mishra