तेज रफ्तार गाड़ियां, स्टंट मारते बाइकर्स और राॅन्ग साइड ड्राइविंग, शहर के पांच फ्लाइओवर और सड़कों पर हर दिन एक्सिडेंट के कारण बन रहे हैं. अटल पथ, दीघा- एम्स एलिवेटेड, गंगा पथ, गर्दनीबाग और बेली रोड फ्लाइओवर इन दिनों सड़क दुर्घटना के स्पॉट बन गये हैं. इन पर सफर करना आम शहरी के लिए एक डेंजर जोन पार करने जैसा हो गया है. इन फ्लाइओवरों पर दिन में कभी-कभी ट्रैफिक पुलिस की तैनाती होती है, मगर रात आठ बजते ही न कोई ट्रैफिक पुलिस नजर आती और न ही सुरक्षा में तैनात कोई सामान्य पुलिस की गश्ती. हादसों के इन स्पॉट की पड़ताल करती शुभम कुमार की रिपोर्ट.
दीघा से एम्स जाने के लिए लगभग 12 किमी लंबाई में बने दीघा-एम्स एलिवेटेड रोड सबसे अधिक संवेदनशील है. इस एलिवेटेड सड़क पर किसी भी ट्रैफिक जवान की तैनाती नहीं रहती है. साथ हरी स्पीड ब्रेक करने के लिए भी कोई प्रबंध नहीं किया गया है. दूर तक लगभग खाली रहने वाले इस रोड पर बाइकर्स गैंग और तेज रफ्तार के वाहन आये दिन सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं.
गंगा पथ के उद्घाटन से पहले ही उसका हादसों की शुरुआत हो चुकी थी. एक महिला की मौत से शुरू हुआ सिलसिला आज कई लोगों की जिंदगी ले चुका है. हालत अब यह हो गयी है कि गंगा पथ पर बाइकर्स ने रेस लगाना शुरू कर दिया है. बाइकर्स के बीच बोली लगायी जा रही है और अटल पथ मोड़ से लेकर गांधी मैदान मोड़ तक तेज रफ्तार में बाइकर्स बाइक को दौड़ाते हैं. इस रेस का शिकार कई बार आम लोग हो चुके हैं और अपनी जान गवां चुके हैं. पुल पर घूमने आये एक परिवार ने बताया कि बाइकर्स गैंग की 25 से 30 बाइकें एक साथ लगीं और फिर आपस में ही बोली लगनी शुरू हुई, वह भी एक का दस. इसके बाद रेसिंग शुरू हो जाती है.
बेली रोड और गर्दनीबाग फ्लाइओवर पर भी कोई ट्रैफिक पुलिस की तैनाती नहीं रहती. यहां हर दिन ओवरटेक करने और रॉन्ग साइड में चलने के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं.
अटल पथ पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं. वैसे तो राजीव नगर व शिवपुरी फ्लाइओवर के नीचे ट्रैफिक पुलिस रहती है, मगर जाम छुड़ाने और बगैर हेलमेट पहने यात्रियों से जुर्मानावसूल करने के अलावा स्पीड पर लगाम के लिए कुछ भी नहीं किया जाता. कभी-कभार दिखावे के लिए दिन में स्पीड गन से जांच होती है. इस पथ पर फ्लाइओवर व सर्विस लेन में कट वाली जगह सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती है.
माह दुर्घटनाएं मौत घायल
-
जून 130 17 15
-
मई 38 15 31
-
अप्रैल 24 16 07
-
मार्च 24 07 16
-
फरवरी 34 18 —
-
जनवरी 35 27 24
गंगा पथ पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद मुख्यालय की ओर से इस पर पुलिस की व्यवस्था देने की बात की गयी थी. इसके बाद डायल 112 की गाड़ी तो खड़ी रहती है, लेकिन उनका काम घटना होने के बाद शुरू होता है. जब तक कि उन्हें कंट्रोल से कोई फोन न आये या फिर सामने एक्सीडेंट न हो जाये. रात तो छोड़िए, दिन में भी इस पर पुलिस की व्यवस्था नहीं होती है. थाना क्षेत्र की पुलिस बस पुल के नीचे गश्ती करती है या फिर एक जगह गोलंबर पर खड़ा रहती है.