बिहार में दरभंगा एम्स पर सियासी बवाल, सुशील मोदी बोले- अहंकार की भेंट चढ़ा दो हजार करोड़ का दरभंगा एम्स
सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार में राजद-जदयू के बीच खींचतान के चलते उत्तर बिहार के लाखों लोग दो हजार करोड़ रुपये से बनने वाले दरभंगा एम्स के रूप में केंद्र सरकार की बड़ी सौगात पाने से वंचित रह गये.
पटना. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार के अहंकार और महागठबंधन सरकार में राजद-जदयू के बीच खींचतान के चलते उत्तर बिहार के लाखों लोग दो हजार करोड़ रुपये से बनने वाले दरभंगा एम्स के रूप में केंद्र सरकार की बड़ी सौगात पाने से वंचित रह गये. दरभंगा में एम्स बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं मिले, इसलिए पहले दो साल तक तो मुख्यमंत्री इस बात अड़े रहे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) को ही अपग्रेड कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बना दिया जाये.
सुशील मोदी ने कहा कि किसी मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर एम्स बनाने का नियम नहीं है, इसलिए अंतत: बिहार सरकार दरभंगा एम्स के लिए डीएमसीएच परिसर में ही 150 एकड़ जमीन देने पर राजी हो गयी. 82 एकड़ जमीन आवंटित भी कर दी गयी थी. इस बीच बिहार में जैसे ही सरकार बदली, वैसे ही दरभंगा एम्स सहित कई विकास परियोजनाओं पर ग्रहण लग गया.
सुशील मोदी ने कहा कि बदली सरकार में राजद और जदयू के बीच दरभंगा एम्स का श्रेय लेने की होड़ मच गयी. लालू प्रसाद के करीबी भोला यादव ने जब किसी संवैधानिक पद पर रहे बिना अशोक पेपर मिल (हायाघाट) की जमीन पर एम्स बनने की घोषणा कर दी, तब इसके जवाब में जदयू के लोग शोभन में एम्स बनवाने के लिए सक्रिय हुए. नीतीश कुमार के इशारे पर मधेपुरा के दिनेशचंद्र यादव सहित दो दर्जन जदयू सांसदों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन देकर दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनवाने की मांग कर दी.
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सुशील मोदी ने कहा कि जदयू के दबाव में बिहार सरकार ने शोभन में जो 151 भूमि आवंटित की, वह एम्स का भवन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं पायी गयी है. शोभन की 20-30 फीट गड्ढे और जल-जमाव वाली जमीन का निरीक्षण करने बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने इसे अस्वीकार कर दिया और कोई दूसरी भूमि आवंटित करने का आग्रह किया. श्री मोदी ने कहा कि इस तरह नीतीश कुमार ने दरभंगा एम्स की योजना को गहरे गड्ढे में धकेल दिया. ऐसी राजनीति बिहार की जनता के प्रति जानबूझ किया गया अन्याय है.