दरभंगा एयरपोर्ट : बाहर वर्षा और धूप से निबटने की चुनौती, अंदर 1700 यात्रियों के लिए है महज 300 सीटें
दरभंगा एयरपोर्ट पर कम जगह होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. टर्मिनल के भीतर प्रवेश करने से पहले यात्रियों को काफी समय तक बाहर तेज धूप में इंतजार करना पड़ता है. यह प्रतिदिन की समस्या है.
दरभंगा. दरभंगा एयरपोर्ट पर कम जगह होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. टर्मिनल के भीतर प्रवेश करने से पहले यात्रियों को काफी समय तक बाहर तेज धूप में इंतजार करना पड़ता है. यह प्रतिदिन की समस्या है.
सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग, महिलाओं व बच्चों को हो रही है. धूप में किसी तरह खड़े रहकर लोग भीतर जाने की बारी का इंतजार करते हैं. बच्चों को गोद में लेकर महिलाओं को भी कतार में बाहर खड़ा रहना पड़ता है.
बाहर काफी समय खड़ा रहने के बाद जब टर्मिनल पर प्रवेश मिलता है, तो वहां की स्थिति और बदतर नजर आती है. भीतर मेला जैसी भीड़ रहती है. बैठने की बात क्या वहां खड़ा रहना भी मुश्किल हो जाता है. यात्रियों को इस तरह की समस्या का रोजाना सामना करना पड़ता है. यहां से यात्रा करने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
रोजाना करते 1700 से अधिक यात्री सफर, टर्मिनल में मात्र 300 की जगह
पिछले साल आठ नवंबर को दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई सेवा की शुरुआत की गयी थी. 10 माह में फ्लाइटों की संख्या काफी बढ़ गयी. नये महानगरों के लिये सीधी विमान सेवा शुरू की गयी. लिहाजा यात्रियों की संख्या भी बढ़ी.
वहीं सिविल एन्क्लेव में जगह पहले वाली ही है. बुनियादी सुविधाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं हो सकी है. दरभंगा एयरपोर्ट से रोजाना 17 सौ से अधिक यात्री आवागमन करते हैं. वहीं टर्मिनल पर मात्र तीन सौ लोगों के बैठने की सुविधा उपलब्ध है.
इस स्थिति में 1400 यात्रियों को किस तरह की परेशानी हो रही है, यह सहज ही समझा जा सकता है. आये दिन सोशल मीडिया पर हवाई यात्री अपनी परेशानी बयां कर रहे हैं. समस्या के समाधान के लिये यात्री सरकार का विभिन्न माध्यमों से ध्यान खींचते हैं पर कोई फलाफल नहीं निकल रहा.
तिथिवार फ्लाइटों व यात्रियों की संख्या
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06 सितंबर 12 1625
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05 सितंबर 12 1962
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04 सितंबर 12 1773
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03 सितंबर 12 1610
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02 सितंबर 14 1708
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01 सितंबर 10 1440
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31 अगस्त 10 1450
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30 अगस्त 08 1273
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29 अगस्त 14 2219
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28 अगस्त 12 1853
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27 अगस्त 12 1507
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26 अगस्त 12 1615
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25 अगस्त 12 1733
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24 अगस्त 12 1658
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23 अगस्त 10 1456
Posted by Ashish Jha